व्यापमं महागड्ढे में आखिर लक्ष्मीकांत के बाद कौन
व्यापमं महागड्ढे में आखिर लक्ष्मीकांत के बाद कौन
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देश की राजनीति में व्यावसायिक परीक्षा मंडल भर्ती घोटाला एक ऐसा जिन्न बनकर सामने आया है जो न तो भाजपा को सांस लेने दे रहा है और न ही फिर बोलत में जाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में यह मुख्यमंत्री शिवराज के गले की फांस बन गया है। जो सीएम शिवराज मध्यप्रदेश में विकास और सुराज की बात करते रहते थे। यह कहते थे कि पहले तो पता ही नहीं पड़ता था कि गड्ढे में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क है। कांग्रेस के कार्यकाल में सड़कों की हालत ऐसी थी कि लोग गड्ढों से परेशान थे लेकिन अब शिवराज के राज में मध्यप्रदेश में महाघोटाले का गड्ढा हो गया है। इस गड्ढे ने भाजपा सरकार के विकास की गाड़ी को धीमा कर दिया है। यही नहीं कांग्रेस को इस गड्ढे से महाघोटाले का मुद्दा मिल गया है। अब तो दिग्गी राजा बेहद खुश हैं। उन्हें तो बस अब इंतज़ार है कि शिवराज को फेल कर कब वे सत्ता का वनवास समाप्त करते हैं। इस महाघोटाले में कांग्रेस ने पहले भाजपा सरकार के पूर्व संस्कृति और जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को गिराया तो शिवराज ने तारणहार मंत्र नमो नमो जप डाला। अब पार्टी ने शिवराज को समर्थन दिया। शिवराज की जान में जान आई और उन्होंने इस घोटाले पर एसआईटी जांच बैठाई।

भाजपा ने कांग्रेस के खोदे गड्ढे में राज्यपाल राम नरेश यादव को गिराने की कोशिश की तो राज्यपाल ने सोनिया और राहुल का हाथ थामकर जैसे तैसे खुद को बचाया। मगर इस मसले पर कांग्रेस फिर भी नहीं मानी और उसने सीधे सीएम को टारगेट कर उमा भारती और मुख्यमंत्री शिवराज को धकेलने का प्रयास किया। शिवराज भी कहां मानने वाले थे। केंद्र सरकार पर हमला होता देख उन्होंने सीबीआई जांच की बात कर डाली। सीबीआई जांच की बात करते ही कांग्रेस के साथ आप की बांछे खिल गई। अभी तक कांग्रेस भाजपा के बीच चले राजनीति के फुटबाॅल मैच को रोमांचक तरीके से देख रही आम आदमी पार्टी ने भी गेंद को किक मारकर सीबीआई की भूमिका पर सवाल कर दिए।

केजरी ने दाव चला और मौका देखकर चैका मार दिया। अभी तक दिल्ली के दंगल में भाग ले रहे केजरी मध्यप्रदेश में अपना खाता खोलने की तैयारी करने लगे। केजरी के इस रवैये से लोगों को लगा जैसे मध्यप्रदेश के दिन फिरने वाले हैं। दिल्ली को और झाड़ू से गड्ढे वाली सड़क की सफाई होने वाली है। पूर्ण राज्य का दर्जा मिले न मिले पर एमपी तो सबसे अजब है सबसे गजब है सोचकर अरविंद केजरीवाल ने मध्यप्रदेश के व्यावासियक परीक्षा मंडल घोटाले में  इस तरह का विरोध जताया जैसे वे भाजपा से अपना पुराना बदला ले रहे हैं।

शिवराज ने आनन फानन में मौतों पर जांच बैठाई तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संभलकर काम करने को कह दिया। आखिर शिवराज को उन्हीं के वचन याद आ गए कि राजनीति पर कदम कदम पर फिसलन होती है। कहीं व्यापमं. के इस गड्ढे में सीएम शिवराज का पैर फिसल जाए और वे गड्ढे में न गिर जाऐं इसके लिए भाजपा मंथन में लगी है। लगता है इस मामले की गर्माहट को भाजपा भूमि अधिग्रहण बिल के छींटे से ठंडा करने में लगी है।

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