व्यापमं घोटाला : अब तक 46 या 56
व्यापमं घोटाला : अब तक 46 या 56
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मौत पर मौत, मौत पर मौत और फिर मौत! जब इस तरह के सवाल सामने आते हैं तो लोगों को लोकप्रिय सिने स्टार सनी देओल अभिनीत फिल्म दामिनी का सीन याद हो आता है। बिल्कुल यही सवाल आज प्रदेशवासी और देश के नागरिक कर रहे हैं, आखिर व्यावसायिक परीक्षा मंडल जैसे महत्वपूर्ण बोर्ड को राजनीति का दंगल और धांधलियों का स्थल क्यों बनाकर रख दिया गया। जिस व्यापमं. से लाखों युवाओं का भविष्य जुड़ा हुआ है उसे राजनीतिक कठपुतली क्यों बना दिया गया। इस बात का सवाल प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार से किया जा रहा है। जो सरकार विकास और सुराज का दम भरती थी उसी सरकार पर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबने के आरोप लग रहे हैं। 

मेडिकल जैसे सेवाभावी प्रोफेशन को अपनाने वाला और जनउपयोगी सेवाओं से जुड़कर शासकीय नौकरी पाने का सपना संजो रहे हर युवा की आंख में यही सवाल है कि आखिर अब तक हुई 46 मौतों का सच क्या है। क्या मौतों का यह आंकड़ा 56 के भी पार होने वाला है क्या मध्यप्रदेश की राजनीति का लोकतांत्रिक इतिहास खून से रंगा जा रहा है। 2530 आरोपियों पर करीब 55 तरह के प्रकरण लगाए जाने के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा फर्जी नियुक्ति घोटाला बन गया है। वर्ष 2012 में मेडिकल छात्रा नम्रता डामोर की चलती ट्रेन से फैंके जाने के बाद हुई मौत से ऐसा सिलसिला चला कि एक के बाद एक आरोपी और मामले से जुड़े पक्ष मौत की आगोश में चले गए। मामले के अभियुक्त नरेंद्र सिंह तोमर की वर्ष हार्ट अटैक से हुई मौत का खेल एक राष्ट्रीय स्तर के समाचार चैनल के पत्रकार अक्षय सिंह के साथ एक प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर अनामिका कुशवाह की मौत पर आकर रूक गया है। अब सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर यह कांड और कितने लोगों को लील जाएगा। इतनी मौतों से सरकार संदेह के घेरे में है और अब तो जनता के हाथ में दिए गए विकासवादी स्वप्न का लड्डू भी टूटकर मिट्टी में मिलने की कगार पर है।

इतने बड़े पैमाने पर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में असंगत प्रवेश और विभिन्न विभागों में फर्जी नियुक्तियों से रोजगार की आस लगा रहा वर्ग तो मायूस है ही साथ ही भ्रष्टाचार से परेशान लोग भी असंतुष्ट होते जा रहे हैं। प्रदेश के सत्ताधारी दल को शायद यह अंदाज़ा नहीं होगा कि व्यापमं. का यह जिन्न आखिरकार उसके गले की फांस बन जाएगा। कांग्रेस इस मामले में 76 लाख से भी अधिक विद्यार्थीयों के प्रभावित होने का आरोप मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह सरकार पर लगा रही है। कहा जा रहा है कि अयोग्य विद्यार्थियों को मेडिकल जैसी सेवा के पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाना उचित नहीं है।

हालांकि कांग्रेस महासचिव ने पिछले समय जिस एक्सेल शीट को प्रस्तुत किया था उसे झुठला दिया है लेकिन इससे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। व्यापमं. मामले में पहले ही पूर्व संस्कृति और जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा जेल में हैं और इससे जुड़ा हर तार अप्रत्यक्षतौर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच रहा है। ऐसे में भाजपा में डर बना हुआ है कि कहीं ये तार प्रदेश में अब तक सफल मानी जा रही शिवराज सरकार के गले की फांस न बन जाए। 

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