भारतीयों के मन में परदेश को लेकर एक अलग ही आकर्षण रहा है। विदेश के कुछ स्थान तो ऐसे रहे जहां भारतीय जाने और रहने के लिए हमेशा तैयार रहते। इन देशों में जहां ब्रिटेन शामिल है वहीं अमेरिका भी किसी से कम नहीं है। भारतीय अमेरिका में बसने और वहां पर रोजगार करने के लिए भी काफी आकर्षित रहे हैं। मगर जिस कदर अमेरिका में हिंसा की वारदातें बढ़ी हैं उससे स्थिति काफी गंभीर हो जाती है।
वहां पर कोई भी नागरिक बंदूक लेकर अंधाधुंध फायरिंग कर देता है तो कभी सिख व्यक्ति को दाढ़ी रखने की कीमत चुकानी पड़ती है। हिंसा की बढ़ती घटनाऐं वहां के लोकतंत्र के लिए भी खतरा है। पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इस तरह की चिंता जता चुके हैं। हिंसा की घटनाऐं इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि वहां पर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कैंपेनिंग चल रही है और हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
कभी भारतीयों की तुलना में अमेरिकियों के लिए रोजगार का बेहतर सृजन करने की बात करने वाले ये नेता क्या अमेरिका में हिंसा को कम कर पाऐंगे। क्या श्वेत-अश्वेत का भेद इन नेताओं द्वारा मिटाया जा सकेगा। या फिर किसी भारतीय मूल के अमेरिकी सिख परिवार को ये नेता आश्वासन दे सकेंगे कि इनके साथ हिंसक घटनाऐं नहीं होंगी।
गोलीबारी की घटनाओ से अमेरिका के अंदरूनी हालात काफी कमजोर हो रहे हैं। विश्व को आतंकवाद और अन्य मामलों में संरक्षण देने का दम भरने वाले अमेरिका में उसके नागरिक सुरक्षा के लिए असमंजस की स्थिति में हैं। आखिर अमेरिका में कब इस तरह की घटनाऐं थमेंगी इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।