मुस्लिमों के खिलाफ फैसला देने वाले जजों को क्यों लगने लगता है डर ? ज्ञानवापी वाले जज भी खौफ में
मुस्लिमों के खिलाफ फैसला देने वाले जजों को क्यों लगने लगता है डर ? ज्ञानवापी वाले जज भी खौफ में
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वाराणसी: वाराणसी में विवादित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे फिर से शुरू होगा। एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा भी नहीं हटेंगे। गुरुवार को वाराणसी की अदालत ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 17 मई को सर्वे की रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है। यह भी कहा है कि सर्वे चाहे ताला खुलवाकर हो या ताला तोड़कर हो, लेकिन किसी भी सूरत में यह रुकना नहीं चाहिए। इस फैसले के बीच सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट की है।

अपने आदेश में जज ने लिखा है कि, साधारण से मामले को असाधारण बनाकर डर का माहौल पैदा कर दिया गया है। डर इतना है कि मेरे परिवार को लगातार मेरी और मुझे परिवार की चिंता बनी रहती है। दिवाकर ने अपने आदेश में लिखा कि, घर से बाहर होने पर पत्नी लगातार मेरी सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है। 11 मई को मां ने मेरी सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट की। शायद उन्हें पता चला था कि मैं कमिश्नर के रुप में ज्ञानवापी जा रहा हूं। मुझे मां ने रोका भी कि मैं कमीशन में न जाऊं, क्योंकि वहां मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

वहीं, अखिल भारतीय सन्त समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि, न्यायमूर्ति का अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट करना कोई नई बात नहीं है। इस देश में जब भी न्यायमूर्तियों ने राष्ट्रहित, हिंदू हित में फैसले दिए हैं, उनकी जान पर खतरा मंडराता रहता है। यूपी और केंद्र सरकार को जजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होना चाहिए। यह बाबा विश्वनाथ का धाम है। काशी के कोतवाल कालभैरव खुद जज साहब की रक्षा करेंगे।

हिजाब विवाद पर फैसला देने वाले जज को मिली थी जान से मारने की धमकी :-

बता दें कि, कुछ दिनों पहले कर्नाटक हाई कोर्ट के जज को एक इस्लामी संगठन द्वारा हत्या की धमकी दी गई थी। ये वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने हिजाब विवाद में दाखिल की गई याचिका के फैसले में हिजाब को इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं बताया था। यह धमकी तमिलनाडु तौहीद जमात (TMTJ) नामक एक संगठन ने मदुरै में एक कार्यक्रम के दौरान 17 मार्च (गुरुवार) को दी थी। धमकी देने वाले आरोपित का नाम कोवाई आर रहमतुल्लाह है। इस वीडियो को इंदु मक्क्ल ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था।

वीडियो में रहमतुल्लाह ने धमकी देते हुए कहा था कि, 'यदि हिजाब मामले में जज की हत्या हो जाती है, तो वो अपनी मौत के जिम्मेदार स्वयं होंगे। न्यायपालिका भाजपा के हाथों बिक चुकी है। कोर्ट का आदेश अवैध और गैरकानूनी है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ये आदेश अमित शाह के इशारे पर दिया है। फैसला देने वाले जज को अपने फैसले पर शर्म आनी चाहिए। जजों के फैसले संविधान के आधार पर होने चाहिए न कि उनकी निजी सोच के आधार पर।' हालांकि, बाद में रहमतुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया था और जज को Y श्रेणी की सुरक्षा दे दी गई थी। लेकिन इन सबमे सवाल यह उठता है कि, मुस्लिम पक्ष की मांग के खिलाफ फैसला देने वाले किसी भी जज को अपनी जान का खतरा क्यों महसूस होने लगता है ?

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