पटना: बिहार के वाल्मिकी टाईगर रिजर्व अन्तर्गत वाल्मीकिनगर के ई टाईप कॉलोनी निवासी अध्यापक हरीनारायण प्रसाद के घर में दरवाजे पर लटकता एक दुर्लभ प्रजाति के सांप को देखने से परिवार वालों व आसपास के लोगों मे अफरातफरी के साथ दहशत का माहौल बन गया है। सांप की इस खबर पर वाल्मीकिनगर वनक्षेत्र के वनकर्मियो की टीम पहुंच सांप को रेस्क्यू कर जंगल मे छोड़ दिया।
वही इस दुर्लभ प्रजाति के सांप को देख लोगों मे कई प्रकार की चर्चाएं चलने लगी। डब्ल्यू टी आई एवं डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के अफसर डाक्टर समीर के सिन्हा एवं सुब्रत बहेरा ने बताया कि वाल्मीकिनगर मे जो दुर्लभ प्रजाति का सांप प्राप्त हुआ है उसका वैज्ञानिक नाम कॉपर हेडेड ट्रिकेंट है। यह सांप रंग बदलने मे माहिर है। यह सांप अपने शत्रुओं से बचने एवं अपने शिकार को करने के लिए समय जगह अनुरूप रंग परिवर्तित कर अपना शिकार कर लेता है तथा शिकार होने से बच जाता है मगर यह दुर्लभ प्रजाति का सांप विषैला नही होते हैं। यह सांप देखने में बहुत खूबसूरत लगते हैं तथा शरीर पर करैत सांप की भांति काले रंग की लाईनिंग रहती है तथा शरीर का रंग लाल-भुरा होता है। अफसरों ने कहा कि यह सांप आमतौर मे कृन्तकों, पक्षियों, छोटे स्तनधारी, पक्षी, छिपकली आर मेंढक को अपना शिकार बनातें है।
डब्ल्यू टी आई के अफसर सुब्रत बहेरा ने बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति के सांप कॉपर हेडेड ट्रिकेंट सांप विषैले नहीं होते हैं। मगर लोग सांप को खतरनाक तौर पर देख और एक दूर्लभ प्रजाति के विषैला सांप समझ सांप को जान से मार देते हैं। जिसके कारण यह सांप लोगों से बचने के लिए अपने शरीर का रंग बदल और चेहरा को खतरनाक तरीका से दिखा तथा एक भयानक रूप से फुफकार कर लंबी छंलाग लगा अपनी जान को बचा कर भाग जाते हैं। अफसरों ने बताया कि यह कॉपर हेडेड ट्रिकेंट सांप उत्तरी पुर्वी भारत के कई क्षेत्रों हिमालय, तलहटी, उतराखंड के अतिरिक्त बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं आंध्रप्रदेश मे भी पाए जाते हैं।
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