जगदलपुर: प्रेम जहा हो वह नफरत ख़त्म हो ही जाती है इस वैलेंटाइन डे पर हम आपको प्यार करने वालों की कहानी सुनाने जा रहे है जिन्होंने गोलाबारूद और नफरत के बीच प्रेम के बीज बोये. बात हो रही है छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के मुख्य गढ़ बस्तर जिले की. जिसे प्रेम नहीं हिंसा के लिए जाना जाता रहा है. पिछले कुछ सालों में बस्तर में सैकड़ों नक्सली जोड़ों ने प्रेम विवाह कर गोलाबारूद और हिंसा से नाता तोड़ कर जिंदगी से नाता जोड़ा है.
इससे नक्सल रणनीतिकार बेचैन है कि क्यों नक्सली हिंसा छोड़कर विवाह बंधन के जरिये समाज की मुख्यधारा में आ रहे हैं. दक्षिण बस्तर एरिया कमटी के अर्जुन ने देवे से, बासागुड़ा के डिप्टी कमांडर जोगन्ना ने चंद्रक्का से, मद्देड़ के डिप्टी कमांडर अशोकन्ना ने नक्सल दलम की सदस्य जयकन्ना से विवाह जैसे कई उदाहरण है जिन्होंने प्रेम को बन्दुक कि जगह चुना और अब खुशहाल है. ऐसे ही इधर दक्षिण बस्तर में सैकड़ों युवा जोड़े नक्सल विचारधारा के खिलाफ बगावत कर प्रेम विवाह कर चुके हैं और अभी सैकड़ों ऐसा करने वाले हैं.
कुल मिलाकर वैलेंटाइन डे के दिन हम आपको ये खबर इस लिए प्रेषित कर रहे है, ताकि हम आपको प्रेम की तासीर की गहराई समझा सके और ये जता सके की प्यार पत्थरो को भी पिघला सकता है और खुंखार नक्सलियों को भी जीना सीखा सकता है यदि वह पवित्र और सच्चा है तो.
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