टूटते बनते दिलों का कारवां वैलेंटाइन डे
टूटते बनते दिलों का कारवां वैलेंटाइन डे
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सुबह सुबह सूरज की पहली किरण निकलते ही जैसे वातावरण में इश्क़रुपी लालिमा बिखर जाती हैं. हवा में एक प्यारी सी सुगंध फ़ैल जाती हैं. दुकानो के बाहर, रस्ते में, गलियों में, फूटफाटों में दिखते रंग बिरंगे गुलाब के फूल आखों को ठंडक पहुचाने लगते हैं. मोबाइल फ़ोन्स एसएमएस और व्हाट्सअप मेसेज से भर जाते हैं. हर कोई नहा धो कर, सेंट, वेंट छिड़ककर ऐसे तैयार हो जाता हैं जैसे यह पल अब दोबारा नहीं आएगा. ग्रीटिंग कार्ड्स, फूल, गिफ्ट्स की बिक्री पिछले सारे दिनों के रिकॉर्ड तोड़ देती हैं. बगीचों में, चौराहो पर और माल्स में लड़के लड़कियों के जोड़े दिखाई देने लगते हैं. कही 'आई लव यू टू' की आवाज सुनाई देती हैं तो कहीं जोरदार थप्पड़ की. जी हाँ यह दिन हैं प्यार के इजहार का, दिलों के जुड़ने का, दिलों के टूटने का. यह दिन हैं वैलेंटाइन डे का.

इस वैलेंटाइन डे को लेकर कई लोगो के अलग अलग मत हैं. कोई यह वैलेंटाइन डे इसलिए नहीं मनाना चाहता क्योंकि उसे लगता हैं कि यह त्यौहार हमारी संस्कृति के खिलाफ हैं. वहीँ कुछ लोगो का कहना हैं कि प्यार का इजहार करने के लिए उन्हें साल के किसी एक विशेष दिन की जरूरत नहीं हैं. वह साल के हर दिन अपने प्रेमी को प्यार कर सकते हैं. बहुत से लोगो का यह भी मानना यहीं कि प्यार तो हम रोज ही करते है लेकिन इस ख़ास दिन यदि हम अपने साथी को कुछ स्पेशल ट्रीटमेंट दे दे तो इसमें क्या हर्ज हैं? 

वहीँ दूसरी ओर सिंगल्स के लिए यह एक शानदार अवसर होता हैं अपने क्रश यानी कि अपने सपनो के राजकुमार या राजकुमारी को प्यार का इजहार करने का. इस इजहार में किसी का दिल मिलता हैं और उसका फसेबूक स्टेटस सिंगल से कमिटेड हो जाता हैं. तो दुर्भाग्यवश कुछ लोगो का दिल टूटता भी है और उनके लिए यह लव डे सैड डे बन जाता हैं. इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका यह मानना हैं कि इस वैलेंटाइन डे पर सिर्फ प्रेमी जोड़ो का ही कॉपीराइट नहीं होता हैं, बल्कि माता, पिता, भाई, बहन के बीच के प्यार को भी इस दिन सेलिब्रेट किया जा सकता हैं. 

इसके पहले की हम सभी लोगो को जज करते हुए इस वैलेंटाइन डे के निष्कर्ष पर पहुंचे आइए पहले जानते हैं कि यह वैलेंटाइन डे आखिर किस बला का नाम हैं? इसकी शुरुआत कैसे हुई? और इसे क्यों मनाया जाता हैं?

वेलेंटाइन-डे नाम मूल रूप से सैंट वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है. हालांकि सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है. 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की. इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं. 1260 में संकलित की गई 'ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन' नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है. इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था. उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है. उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा. संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया. उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए. आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया. तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है. कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था 'तुम्हारा वेलेंटाइन'. यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से यह त्यौहार मनाया जाने लगा.

तो अब सवाल यह उठता है कि आपको यह प्यार का त्यौहार मनाना चाहिए या नहीं? अगर आप हम से पूछे तो हम तो यही कहेंगे कि इस प्यार के त्यौहार को मनाने में कोई हर्ज नहीं हैं. हम यह भी मानते है कि प्यार का इजहार करने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं होती हैं लेकिन इस एक दिन को बाकी दिनों कि तुलना में कुछ ज्यादा ख़ास बनाने में भी तो हर्ज नहीं हैं. आखिर ऐसा करने से आपके प्रेमी साथी के चेहरे पर ख़ुशी ही होगी. हाँ हम साथ में यह भी कहना चाहेंगे कि इस प्यार के त्यौहार को सिर्फ अपने प्रेमी तक ही सिमित नहीं रखे. अपने प्यार की आभा को अपने माता, पिता, भाई बहन, दोस्तों, रिश्तेदारों तक भी फैलाए. क्योंकि यह प्यार का त्यौहार हैं और प्यार हर रिश्तों में होता हैं. 

इसलिए अंत में हम सिर्फ इतना ही कहेंगे खुश रहो, खुशियां फैलाओ और प्यार की खुशबु को देश के कौन कौन तक फैलने दो. 

 

'अंकित पाल'

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