स्वदेशी से मजबूत होगा भारत का रुपया
स्वदेशी से मजबूत होगा भारत का रुपया
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काफी लंबे अरसे से विश्व में मंदी का दौर देखने को मिल रहा है। हालात ये हैं कि अमेरिका और विश्व के अन्य देश नौकरियों की मारामारी, मुद्रास्फीति आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं। यूरोप के विकसित देशों के अलावा विकासशील देश भी इसी तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं। हालांकि भारत में संघीय स्तर पर नई सरकार का गठन होने के बाद हालात कुछ - कुछ बदल रहे हैं लेकिन आज भी लोग महंगाई से परेशान हैं और सरकार रोजगार सृजन के उपायों में लगी है, लेकिन निराशा के इस दौरान को बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए कुछ उपाय करने होंगे। यदि हम भारत के अलावा कई अन्य देशों के हालात पर गौर करें तो स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। विश्व स्तर पर देखने पर जब हम जिम्बाॅब्वे पर नज़र डालते हैं तो यह पता लगता है कि जिम्बाॅब्वे के भी हालात कुछ ऐसे ही हैं।

जहां एक डाॅलर की कीमत करीब 35,000,000,000,000,000 जिम्बाॅब्वे डाॅलर तक पहुंचने की बात की जा रही है। हालात ये हैं कि लोग यहां व्हील कार्ट पर नोटों के बंडल लेकर जाते हैं और अपने रोजमर्रा की वस्तुऐं खरीदते हैं। एक तरह से यह आर्थिक गुलामी का दौर है। अब तो जिम्बाॅब्वे अमेरिकी डाॅलर से अपनी करेंसी को एक्सचेंज करने पर मजबूर है। हालांकि भारत में स्थिति इतनी खराब नहीं है लेकन यहां भी भारतीय मुद्रा रूपया डाॅलर के मुकाबले काफी कमजोर है। सरकार को विदेशों से स्वर्ण भंडार आयात करने पड़ते हैं। ऐसे में विदेशी मुद्रा की बड़ी आवश्यकता होती है, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम परिवर्तित होते रहते हैं ऐसे में भारत के मुद्रा कोष पर प्रभाव पड़ता रहता है। जिसे नियंत्रित करने के लिए भारतीय रूपए का वजनी होना बेहद जरूरी है।

वर्तमान में रूपए का मूल्य प्रति डाॅलर 60 रूपए से भी  ज़्यादा हो गया है। इसे अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी गंभीर माना जा रा है। हालांकि रूपए का अवमूल्यन रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए विदेशों में जाकर उन्हें यहां निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है तो दूसरी ओर सरकार द्वारा स्वर्ण मौद्रिकरण योजना लागू की जा रही है जिसमें लोगों के घर में रखे स्वर्णाभूषण बैंक के माध्यम से सरकार द्वारा काम में लाए जाने की योजना है। मगर इसके अलावा भी कुछ ऐसी बातें हैं जिससे रूपए को मजबूती प्रदान की जा सकती है।

इसमें एक उपाय है स्वदेशी, जी हां, यदि हम भारत में निर्मित उत्पादों का उत्पादन बढ़ाऐं और उसकी खपत से देश की आवश्यकता की पूर्ति करें तो हमें विदेशी उत्पादों की जरूरत ही नहीं रहेगी दूसरी ओर हमारे यहां कई ऐसे उत्पाद हैं जिनकी मांग विदेशों में भी होती है। ऐसे में देश के विदेशी पूंजी भंडार को बढ़ाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर भारत के कई राज्यों में उत्पादित गेहूं को चिप्स के लिए विदेशी कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है यही नहीं भारत चाय का एक बड़ा निर्यातक देश भी है। यहां के मसाले आज भी विदेशों में अपनी मांग बनाए हुए हैं। इन सभी प्रयासों से हम विदेशी पूूंजी को बढ़ा सकते हैं। जिससे हमें स्वर्ण आयात करने के लिए पूंजी पर्याप्त मात्रा में मिल सकती है।


केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया मेक इन इंडिया अभियान यदि सही तरह से अपनी गति पकड़ता है तो इसके विभिन्न स्तरों पर फायदे होंगे। भारत सरकार द्वारा देश की निजी कंपनियों के साथ रक्षा उपकरण बनाने को लेकर जिस तरह का करार इस प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है उससे भारत का रक्षा बजट कम हो सकेगा और देश में निर्मित सेन्य उपकरण विदेशों में भी बेचे जा सकेंगे। दूसरी ओर लोगों को उद्यम लगाने और देश में उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने को लेकर प्रोत्साहन दिया जाएगा तो रोजगार की समस्या तो दूर होगी ही, दूसरी ओर देश का उत्पादन बढ़ेगा और जीडीपी में भी बढ़ोतरी होगी। इस तरह के परिवर्तन से देश के विकास के विकास में नए आयाम जुड़ेंगे।

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