कोई बेचता है रद्दी, तो कोई भरता है पेट्रोल, जानिए ऐसा है PM मोदी का परिवार
कोई बेचता है रद्दी, तो कोई भरता है पेट्रोल, जानिए ऐसा है PM मोदी का परिवार
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नई दिल्ली/अहमदाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से तो सभी वाकिफ हैं,लेकिन आज हम आपको पीएम मोदी के अन्य भाइयों के बारे में कुछ ऐसी जानकारियों से रूबरू कराना चाहते हैं, जो प्रधान मंत्री के भाई होने के बाद भी मीडिया की चकाचौंध से दूर गुमनामी के अँधेरे में रहते हुए परिश्रम करके ईमानदारीपूर्वक अपना जीवन यापन कर रहे हैं.प्रधानमंत्री के भाई होने के बाद भी इनकी सरलता और सादगी काबिले तारीफ है. आइये आपको परिचित कराते हैं मोदी बंधुओं के जीवन के अनछुए पहलुओं से-

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पिता की 6 संतानों में से तीसरे नम्बर पर हैं. इनसे बड़े दो भाई हैं. सबसे बड़े सोम भाई मोदी हैं जो बुजुर्गों की देखभाल करने वाली एक संस्था से जुड़े हैं. आप पीएम के भाई हैं यह बात 2015 में एक एनजीओ के कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान लोगों को तब पता चली जब आयोजक ने इनके नाम के आगे लिख दिया प्रधानमंत्री के सबसे बड़े भाई. खुद्दारी से लबरेज सोम भाई का कहना है कि मेरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक पर्दा है, जिसे सिर्फ मैं ही देख सकता हूँ ,आप नहीं. उन्होंने एक बहुत ही गंभीर बात कही कि मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूँ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं. प्रधानमंत्री के लिए मैं देश के 125 करोड़ नागरिकों में से एक हूँ. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सोमभाई पिछले ढाई साल से प्रधान मंत्री से नहीं मिले हैं. कभी -कभी  उनसे फोन पर बात हो जाती है.हाँ, गाँधी नगर में रहने वाले गुजरात सूचना विभाग के कर्मचारी अपने छोटे भाई पंकज से मुलाकात इसलिए हो जाती है, क्योंकि माँ हीरा बेन उन्हीं के पास रहती है.

प्रधान मंत्री के दूसरे बड़े भाई का नाम है अमृत भाई मोदी, जो एक प्राइवेट कम्पनी से फिटर पद से 2005 में रिटायर होने के बाद अहमदाबाद के गढ़लोढिया इलाके में एक चार कमरे के छोटे से मकान में अपने मध्यम व्यवसायी 47 वर्षीय बेटे संजय,बहू , पोते नीरव और पोती निराली के साथ रहते हैं. ये दोनों बच्चे इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हैं. 2009 में इन्होंने कार तो खरीद ली है, लेकिन विमान में बैठने की हसरत अभी तक पूरी नहीं हुई है. इनकी पीएम से सिर्फ दो बार मुलाकात हुई है. एक तो तब जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे और दूसरी बार तब जब 16 मई 2014 को भाजपा ने लोकसभा चुनाव जीता था.

इसके बाद आते हैं प्रह्लाद मोदी जो पीएम नरेंद्र मोदी से छोटे हैं. प्रह्लाद मोदी गुजरात में सार्वजनिक उचित मूल्य दुकान संघ के अध्यक्ष हैं. यहां यह उल्लेख उचित है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तब उन्होंने उचित मूल्य की दुकानों में पारदर्शिता लाने के लिए एक मुहिम शुरू की थी जिसका प्रह्लाद मोदी ने विरोध किया था.

ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी के सगे भाई ही सादगी से रहते हैं. इनके अलावा पीएम मोदी के अन्य भाई,भतीजों, भतीजियों के जीवन की कहानी भी संघर्ष भरी है. नरेंद्र मोदी के चाचा नरसिनदास के सबसे बड़े बेटे भोगीभाई छोटी सी किराना दुकान चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं, वहीं भरत भाई पालनपुर के पास लालवाड़ा गांव के के एक पेट्रोल पम्प पर काम कर अपना पेट भरते हैं. जबकि भरत भाई से छोटे चंद्रकांत भाई अहमदाबाद की चैरिटेबल गौशाला में सहायक के तौर पर काम करते हैं. जबकि अशोक भाई वाडनगर के घीकांटा बाजार में एक छोटी सी दुकान में पतंग, पटाखे और स्नेक्स बेचकर अपने परिवार की गुजर बसर करते हैं, वहीं एक अन्य अरविन्द भाई वड़नगर में घर-घर से रद्दी अख़बार और टिन इकट्ठा कर बेच कर अपना घर खर्च चलाते हैं.

किसी बात का गुमान न रखकर और मीडिया की चर्चा में आए बगैर प्रधान मंत्री के भाइयों का इस तरह चुपचाप अपना काम करना निश्चित ही प्रेरणादायक है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके परिजन किसी छोटे से राजनीतिक पद पर होने पर सभी पर अपना रुबाब झाड़ते रहते हैं.

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