अंतिम संस्कार: आखिर क्यों शव के सिर पर तीन बार मारा जाता है डंडा, जानिए क्यों याद रहता है पिछला जन्म
अंतिम संस्कार: आखिर क्यों शव के सिर पर तीन बार मारा जाता है डंडा, जानिए क्यों याद रहता है पिछला जन्म
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आप सभी ने कई बार अंतिम संस्कार की परम्पराओं के बारे में सुना होगा। अब आज हम आपको इससे जुडी कई बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके जानने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे।

सबसे पहले हम जानते हैं कि किस वजह से याद नहीं रहती पिछले जन्म की बातें- जी दरसल वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले जन्म की बातों को याद न रख पाने के पीछे ‘ऑसीटॉसिन’ नामक केमिकल होता है। यह कैमिकल गर्भधारण के दौरान ही मां के गर्भ से निकल जाता है लेकिन अगर यह तत्व मां के गर्भ से ही शिशु के साथ आ जाए, तो उसे अपने पिछले जन्म की सभी बातें याद रहती हैं, इसलिए बहुत कम लोगों को पिछले जन्म की बातें याद रहती है। कहते हैं पिछले जन्म में जिस व्यक्ति की मौत दर्दनाक होती है, उससे पिछले जन्म की ज्यादातर बातें याद रहती हैं। 

अंतिम संस्कार के समय शव के सिर पर तीन बार डंडा क्यों मारा जाता है – कहते हैं जो लोग जानते हैं उनकी मौत निश्चित है वह जीने के दौरान मृत्यु के बाद मोक्ष पाने की अभिलाषा में पुण्य कर्म करते ही है। वहीं मरने के बाद भी कुछ कर्म ऐसे है जो मर्तक के परिवार वालों द्वारा विधि पूर्वक किए जाएं तो मृतक की आत्मा को मुक्ति मिलती है। कहते हैं इन्हीं कर्मो में से एक है अंतिम समय के दौरान किए जाने वाली कपाल क्रिया। इसमें चिता में जल रहे शव के सिर पर तीन बार डंडा मारा जाता है। कहते हैं बांस के डंडे पर एक लोटा बांधकर शव के सिर पर घी डाला जाता है, और ऐसा इसलिए करते है ताकि शव का सिर अच्छे से जल सके। जी दरअसल इंसान के शरीर की हड्डी बाकी अंगों की अपेक्षा ज्यादा कठोर होती है। इस वजह से उसे अच्छे से अग्नि में नष्ट करने के उद्देश्य से शव की सिर पर घी डाला जाता है। हालाँकि और भी कई कारण है जैसे-

* तंत्र मंत्र करने वाले श्मशान घाट से मृतक की खोपड़ी लेकर अपनी साधना कर सकते है। इस वजह से मृत व्यक्ति की आत्मा उन अघोरियों या पिशाच पूजन करने वाले की गुलाम बन सकती है इसलिए खोपड़ी को तोड़ कर नष्ट कर देते है।

* कुछ लोगों का कहना है कि इस जन्म की स्मृति अगले जन्म में मृतात्मा के साथ ना जाए इसलिए खोपड़ी तोड़ दी जाती है।

* सिर में ब्रह्मा का वास माना गया है। इस वजह से शरीर को पूर्ण रूप से मुक्ति प्रदान देने के लिए कपाल क्रिया की जाती है।

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