इस्लामाबाद। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर विवाद गहराता रहा है। जहाॅं भारत पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करने और सीज़फायर का उल्लंघन करने का आरोप लगाता रहा है वहीं पाकिस्तान सिंधु जल संधि को लेकर वल्र्ड बैंक के पास पहुंच गया था। अब यह बात सामने आई है कि यह संधि दोनों ही देशों में बारिश का मौसम समाप्त हो जाने के बाद जब पानी कम हो जाता है।
नदी का प्रवाह कम होने की स्थिति में जल के बंटवारे को तय करने में नाकाम रही है तो दूसरे आयाम में पाकिस्तान में चिनाब नदी के प्रवाह पर पानी की कमी का सामूहिक असर रहा है। यह बात संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कही गई है। मिली जानकारी के अनुसार झेलम व नीलम नदियों पर वुलार बैराज के ही साथ किशनगंगा परियोजना कुछ ऐसी ही समस्या थी।
मिली जानकारी के अनुसार रबी की फसल के तहत अक्सर फसल की कमी का अहसास होता है। इस दौरान जल केवल 20 प्रतिशत ही मिल पाता है। जल बंटवारे को लेकर यह एक महत्वपूर्ण और बड़ी संधि है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी की कमी एक गंभीर मसला है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जल संधियों को लेकर जागरूकता की जरूरत है।