भारत में राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड की झांकी में हिमाचल के कुल्लू के दो देवरथ और 30 देवलुओं ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे की झलक पेश की जा रही थी । इसके अलावा देवरथों की शोभा बढ़ाने के लिए ढोल, नगाड़े, करनाल, नरसिंगों को बजाने वाले बजंतरी भी साथ थे। वही दोनों देवताओं के साथ कुल 30 देवलुओं ने परेड में भाग लिया।इसके साथ ही झांकी के माध्यम से कुल्लू दशहरा की देव संस्कृति को दिखाया गया है । झांकी में शामिल होने के लिए देवसदन के म्यूजियम में रखे दो देवरथों को दिल्ली ले जाया गया था। वही झांकी में सभी देवताओं के देवरथों को दिखाना संभव नहीं था।
इसके साथ ही कुल्लू दशहरा की झांकी में जहां देवताओं के रथ दिखाए गए, वहीं देवताओं के साथ निशानदार, छतरी, ढोल, नगाड़, करनाल, नरसिंगों, गूर, पुजारी भी थे।वही जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने कहा कि देवसदन के म्यूजियम में रखे दो देवरथों को दिल्ली ले जाया गया था। 30 सदस्यों का दल भी दिल्ली गया था। यदि बात की जाए तो भाषा और संस्कृति विभाग के सहायक निदेशक और नोडल ऑफिसर राजकुमार सकलानी ने कहा कि राजपथ में विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा की झांकी प्रदर्शित की गई। वही गणतंत्र दिवस परेड में जब कुल्लू दशहरे की झलक दिखी तो भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सीट से उठ गए और ताली बजाने लगे।
यदि बात की जाए तो इस दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी खड़े होकर झांकी का अभिवादन किया गया था । बाद में अनुराग ठाकुर ने जेपी नड्डा के साथ गर्मजोशी से हाथ मिलाया। कुल्लू दशहरा के लिए 369 साल पहले राजा जगत सिंह ने देवताओं को बुलाने के लिए न्योता देने की परंपरा शुरू की जो आज भी चली आ रही है। इसके साथ ही बिना न्योते के देवता अपने मूल स्थान से कदम नहीं उठाते है । इसके साथ ही वर्ष 1650 में तत्कालीन राजा जगत सिंह की ओर शुरू किया कुल्लू दशहरा कई परंपराओं और मान्यताओं को समेटे हुए है। 369 साल से पहले राजवंश और अब प्रशासन हर बार 300 के लगभग घाटी के देवी-देवताओं को दशहरे का न्योता देता आ रहा है।
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