सही मायने में जीवन की कड़वी सच्चाई
सही मायने में जीवन की कड़वी सच्चाई
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किसी मंदिर के बाहर लिखा हुआ था दुनिया का सबसे खुबसुरत सच अगर उपवास करके ही भगवान खुश होते, तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट रहने वाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होते, ओर वैसे भी उपवास अन्न का नही, विचारों का करे तो सबसे बेहतर है । इंसान खुद की नजर में सही होना चाहिए, दुनिया तो भगवान से भी दुखी है। चिड़िया जब जीवित रहती है, तब वो चिंटीयो को खाती है और जब चिड़िया जब मर जाती है, तब चींटिया उसको खा जाती है। इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखो की समय और स्थिति कभी भी बदल सकते है, इसलिए कभी किसी का अपमान मत करो कभी किसी को कम मत आंको। तुम शक्तिशाली हो सकते हो पर समय तुम सबसे शक्तिशाली है। 

एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलिया बनाई जा सकती है पर एक माचिस की तिल्ली से लाखो पेड़ भी जल सकते है। कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए, पर कुदरत कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती। कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया। रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली। ईच्छा दी इन्सान को, तो संतोष छीन लिया। संतोष दिया संत को, तो संसार छीन लिया। संसार चलाने को दिया देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया। मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर ऐ इंसान भगवान ने तेरे और मेरे जैसे कितनो को ही मिट्टी से बना के, मिट्टी में मिला दिए । इंसान दुनिया में तीन चीज़ो के लिए मेहनत करता है मेरा नाम ऊँचा हो मेरा लिबास अच्छा हो मेरा मकान खूबसूरत हो लेकिन इंसान के मरते ही भगवान उसकी यही तीनों चीज़े सबसे पहले बदल देता है नाम (स्वर्गीय) लिबास (कफन) मकान (श्मशान) 

सही मायने में यही जीवन की कड़वी सच्चाई हे जिसे हम समझना नहीं चाहते एक पत्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है, ओर इंसान हर रोज़ मंदिर जाता है फिर भी पत्थर ही रहता है। एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये अपनी सुन्दरता त्याग देती है, और वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है जीवन में हर जगह हम जीत चाहते हैं, सिर्फ फूलवाले की ही दूकान ऐसी है, जहाँ हम शान से कहते हैं कि हमें हार चाहिए। क्योंकि हम उस भगवान से जीत नहीं सकते। बहुत धीमें से पढ़े अत्यंत अर्थपूर्ण है यह हम और हमारे ईश्वर, दोनों एक जैसे हैं। जो रोज़ भूल जाते हैं, वो हमारी गलतियों को, हम उसकी मेहरबानियों को। वक़्त का पता ही नहीं चलता, अपनों के साथ पर अपनों का पता चलता है, वक़्त के साथ । वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ, पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं इसी वक़्त के साथ ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है, शिकवे कितने भी हो हर पल, फिर भी हँसते रहना क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है, बस एक ही बार मिलती है बस एक ही बार मिलती है ।

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