तुर्की में नाकाम हुए तख्तापलट के प्रयास
तुर्की में नाकाम हुए तख्तापलट के प्रयास
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तुर्की: तुर्की में सेना के कदमों को नागरिकों ने रोक दिया। नागरिक तख्तापलट करने निकली सेना के टैंकों के आगे आ गए। कहीं-कहीं नागरिकों ने सैनिकों को पकड़ कर बाहर निकाला। मिली जानकारी के अनुसार सेना के असंतुष्ट सैनिकों की ओर से राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से सत्ता कब्जाने का प्रयास किया गया। जिसके बाद समूचे देश पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया। दोनों ही पक्षों के मध्य संघर्ष में 250 से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

मिली जानकारी के अनुसार करीब 13 वर्ष के निरंकुश शासन को रक्तरंजित चुनौती के बाद एर्दोगन ने समर्थकों से करीब 8 करोड़ की जनसंख्या वाले रणनीतिक नाटो सदस्य देश में किसी भी संभावित अराजकता को रोकने हेतु सड़कों पर ही डंटे रहने की अपील की। इस मामले में एर्दोगन के प्रतिद्वंदी धर्मगुरू फतहुल्ला गुलेन जो कि अमेरिका में रहता है इसे जिम्मेदार माना गया। दरअसल राष्ट्रपति कट्टर धार्मिकवाद फैलाना चाहते थे। उनके फरमान भी कट्टर मुस्लिमवादी थे। जबकि सेना ने इस मामले में विद्रोह कर दिया था।

जिसके कारण तख्तापलट हुआ। हालांकि तख्तापलट को नागरिकों ने रोका। इस दौरान हुई हिंसा में 161 लोगों को अपी जान गंवाना पड़ी है। इस हिंसा में 1440 लोग घायल हो गए। हालांकि हालात शांत होने पर जब जानकारी दी गई तो यह बात सामने आई कि देश के संसद भवन को काफी नुकसान हुआ है। विद्रोहियों ने जेट विमान से संसद भवन पर बम बरसाए थे। तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में ही बड़े पैमाने पर विस्फोट हुए। सैनिकों ने विरोधियों पर गोलिया बरसाईं तो कुछ लोग सैनिकों का स्वागत भी कर रहे थे।

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