ट्री हाउस-जी लर्न मर्जर मामला, पर्दे के पीछे छुपे हैं कई राज
ट्री हाउस-जी लर्न मर्जर मामला, पर्दे के पीछे छुपे हैं कई राज
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मुम्बई - जी लर्न और ट्री हाउस एजुकेशन ने प्रस्तावित मर्जर की अपनी शर्तें बदल दी है.अब मर्जर पर ट्री हाउस के एक शेयर के बदले जी का एक शेयर मिलेगा. नया अनुपात जी के पिछले साल के ऑफर से काफी कम है. इससे ट्री हाउस के शेयरहोल्डर्स नाराज हो सकते हैं.

बता दें कि जी लर्न ने पहले ट्री हाउस के 10 शेयर पर अपने 53 शेयर देने का वादा किया था. हालांकि, बुधवार को उसने इसे घटाकर एक पर एक कर दिया. कंपनी ने शेयरहोल्डर्स को इसकी वजह भी नहीं बताई है.जी लर्न का शेयर बुधवार को 11 फीसदी चढ़ा, जबकि ट्री हाउस के शेयर में 15.5 फीसदी की तेजी आई. दोनों ही कंपनियों के शेयर कई साल से लो लेवल पर ट्रेड कर रहे थे. मर्जर के वैल्यूएशन को मैच करने की वजह से दोनों में बुधवार को तेजी आई. जी लर्न का शेयर 33.6 रुपये और ट्री हाउस का शेयर 36.5 रुपये पर बंद हुआ.

इस बारे में प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म एसईएस के मैनेजिंग डायरेक्टर जे एन गुप्ता ने कहा नए मर्जर अनुपात दोनों कंपनियों के मौजूदा स्टॉक प्राइस के अनुसार है, लेकिन पिछले साल डील के ऐलान के बाद से हालात काफी बदल चुके हैं.गुप्ता की फर्म ने जुलाई में जारी एक रिपोर्ट में डील पर सवाल उठाए थे. उन्होंने बताया, 'सिस्टम के साथ खिलवाड़ करने की यह डील मिसाल है.किस तरह से शेयरहोल्डर्स को छला जाता है, इस सौदे से उसका भी पता चलता है. उन्होंने इसकी जांच की की भी मांग की.

गौरतलब है कि दोनों कंपनियों ने सात महीने पहले डील की घोषणा की थी , लेकिन इस साल जून में इसे रोकने की घोषणा की गई. उस वक्त भी इसकी वजह नहीं बताई गई. इस घोषणा के बाद जी लर्न का शेयर 30 फीसदी से अधिक गिर गया था. वहीं, ट्री हाउस के स्टॉक में 75 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई थी. अन्दरखानो की खबरों से पता चलता है कि ट्री हाउस के प्रवर्तकों ने डील से पहले कंपनी में अपने 32 प्रतिशत शेयर बेच दिए थे. पिछले एक साल में कंपनी का शेयर 85 फीसदी गिरा है. पिछले साल डील के ऐलान से पहले प्रवर्तकों के शेयर बेचने की वजह से भी कंपनी के शेयर में भारी गिरावट आई थी. इसके अन्य कारणों में दूसरे शीर्ष निवेशकों का कंपनी से निकलनाऔर कंपनी के श्रेष्ठ कर्मचारियों का नौकरी छोड़ना भी प्रमुख कारण रहा.

इस मामले में एक स्वतन्त्र इक्विटी विश्लेषक ने कहा कि ट्री हाउस के शेयरहोल्डर्स के लिए यह बुरी डील है. हमें सिर्फ फाइनेंशियल डेटा नहीं देखना चाहिए. परदे के पीछे काफी कुछ छिपा है. इस मामले की जांच होनी चाहिए.

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