वैचारिक क्रांति की संवाहक बनी यात्रा
वैचारिक क्रांति की संवाहक बनी यात्रा
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144 दिनों की 'नमामि देवि नर्मदे' -सेवा यात्रा। प्रदेश की जीवनदायिनी नदी 'नर्मदा' के संरक्षण को जन-आन्दोलन बनाने के लिए शासन द्वारा अभिकल्पित एवं समन्वित यह यात्रा लगातार अपने उद्देश्य को पूरा करने की ओर अग्रसर है। चाहे वह नर्मदा नदी के संरक्षण की बात हो या उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग की। नदी में प्रदूषण के कारण और रोकथाम के उपायों को जनता तक पहुँचाने और पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जागरूकता पैदा करने में यात्रा एक वैचारिक क्रांति की सूत्रधार बनी है।

यात्रा 11 दिसंबर 2016 से अनूपपुर जिले के अमरकंटक से शुरू हुई थी। सोलह जिलों तथा 51 विकास खण्ड के लगभग 600 गाँव से होती हुई यात्रा 3334 किलो मीटर का मार्ग 144 दिनों में तय करते हुए पुन: 11 मई को अमरकंटक में समाप्त होगी। नर्मदा सेवा यात्रियों के आस्था और विश्वास से चमकते चेहरों की आभा से अदभुत छटा देखते बन रही है। क्या शिक्षित, क्या अशिक्षित, सभी नर्मदा माँ की स्तुति में मस्त-मगन दिख रहे हैं।

नैसर्गिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति जन-चेतना के लिए शुरू की गई यह यात्रा हर वर्ग का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब हो रही है। इसमें शामिल हर जाति, धर्म और समुदाय के किसान, मजदूर, व्यापारी, छात्र-छात्राएँ, सरकारी और गैर-सरकारी चाहे अधिकारी हो या कर्मचारी सबका एक ही लक्ष्य है, माँ नर्मदा की धारा को प्रबल बनाना। स्थानीय लोग भी शामिल होकर यात्रा के पवित्र उद्देश्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

नामामि नर्मदा यात्रा में शामिल हुए अनुपम खेर

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