समय पर बारिश होने से बेहतर रहेगा खरीफ फसलों का उत्पादन
समय पर बारिश होने से बेहतर रहेगा खरीफ फसलों का उत्पादन
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नई दिल्ली : इस साल मानसून के समय पर आने और झमाझम बारिश होने से खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन की सम्भावनाएं बढ़ गई है. अच्छे मानसून का असर बुवाई पर पड़ा है. इस बार 22 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 22 लाख हेक्टेयर ज्यादा हुआ है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस बार खरीफ सीजन में पूरे देश में 692.98 लाख हेक्टेयर के रकबे में बुवाई दर्ज की गई है. खरीफ फसल की बुवाई इस बार ज्यादा रहने के पीछे सबसे बड़ा कारण है जून में कम बारिश के बावजूद जुलाई में झमाझम बारिश का होना है.

जुलाई के पहले 15 दिनों में बारिश सामान्य के मुकाबले 35 फीसदी ज्यादा रही और इसका बहुत ही सकारात्मक असर देश की कृषि पर देखा गया. जुलाई के महीने में झमाझम बारिश का सिलसिला अभी भी जारी है. खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है और इसकी मानसून पर निर्भरता काफी हद तक है. इस बार देश में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के 182.38 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 183.06 लाख हेक्टेयर रहा है. यानी धान उत्पादक राज्यों में बुवाई ने जोर पकड़ लिया है.

धान की बुवाई बेहतर रहेगी और इस बार इसका उत्पादन भी बढ़ेगा. मोटे अनाजों की खरीफ बुवाई भी इस बार पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 3.5 फीसदी बढ़कर 130.80 लाख हेक्टेयर हो चुकी है. सरसों और मूंगफली जैसी तिलहन फसलों का बुवाई रकबा भी खरीफ सीजन के दौरान पिछले साल के मुकाबले 4.28 फीसदी बढ़कर 149.16 लाख हेक्टेयर हो गया है.

जहां तक दलहनी फसलों का सवाल है, तो इस साल इसके बुवाई रकबे में भी वृद्धि देखी गई है. पिछले साल इसी अवधि में दालों की बुवाई 64.69 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी, लेकिन इस साल खरीफ सीजन में इस बार दलहन फसलों का बुवाई रकबा 39.39 फीसदी बढ़कर 90.17 लाख हेक्टेयर रहा है. इस बार अगस्त और सितंबर में मानसून की बारिश पिछले कई सालों के मुकाबले ज्‍यादा रहने का अनुमान है. इससे दालों का उत्पादन बढ़ेगा और इसकी कीमतों में कमी आएगी, लेकिन इसके पहले सरकार को जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी.

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