इस व्रत को बेहद अहम माना जाता है
इस व्रत को बेहद अहम माना जाता है
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पद्म पुराण के अनुसार सांसारिक सुखों की प्राप्ति और पुत्र इच्छुक भक्तों के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत को फलदायक माना जाता है। यह व्रत पौष और श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। संतानहीन या पुत्र हीन जातको के लिए इस व्रत को बेहद अहम माना जाता है।

पुत्रदा एकादशी व्रत 
पौष और श्रावण माह की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। इस साल पुत्रदा एकादशी व्रत साल में रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी व्रत विधि
पुत्रदा एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन लहसुन, प्याज आदि नहीं खाना चाहिए। साथ ही दशमी के दिन किसी प्रकार का भोग-विलास नहीं करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से शुद्ध होकर उपवास करना चाहिए। भगवान विष्णु और विशेषकर विष्णु जी के बाल गोपाल रूप की पूजा करनी चाहिए। द्वादशी को भगवान विष्णु की अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करनी चाहिए। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके स्वयं भोजन करना चाहिए।

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