ये है मां दुर्गा का सबसे प्रभावशाली मंत्र, जाप मात्र से दूर हो जाएंगी हर परेशानी
ये है मां दुर्गा का सबसे प्रभावशाली मंत्र, जाप मात्र से दूर हो जाएंगी हर परेशानी
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15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत चुकी है तथा इसका समापन 24 अक्टूबर 2023 को होगा. इस साल माता रानी का आगमन हाथी पर हुआ है. शारदीय नवरात्रि का पर्व 9 दिन तक शक्ति साधना का पर्व है, जिसे पंचांग के मुताबिक, अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाया जाता है. नवरात्रि में 9 दिनों के चलते प्रतिदिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा जाती है, श्रद्धालु 9 दिनों का व्रत रखते हैं और चारों ओर भक्तिमय माहौल रहता है. इस के चलते मां के मंत्रों का जाप भी फलदायी माना गया है. मगर क्या आप जानते हैं कि मां भगवती का सबसे प्रभावशाली मंत्र कौन सा है? यदि नहीं जानते तो अभी नोट कर लें और इसे नवरात्रि में अवश्य जपे. नवरात्रि में इन मंत्रों का जाप करने से सारे काम सफल होते हैं. 

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते। 
अर्थ है: जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री और स्वधा- इन नामों से प्रसिद्ध मां जगदंबे. आपको मेरा नमस्कार है.

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। 
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।।
यह अर्गलास्तोत्र का पहला श्लोक है. ॐ का संपुच लगाकर इस श्लोक को पाठ जा सकता है. जैसे- 

ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। 
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।
अर्गला स्त्रोत होने की वजह से यह अनुष्टुप् छंद पर आधारित है. अनुष्टुप् छन्द में 32 वर्ण होते हैं तथा ॐ के बिना भी यह श्लोक पूर्ण है. मान्यता है कि, महामारी से निदान के लिए इस मंत्र का जप बहुत प्रभावशाली है. आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं और मंत्र जाप में कठिनाई हो तो इसका श्रवण भी कर सकते हैं.

इस मंत्र में आदिशक्ति के 11  नामों का उल्लेख भी मिलता है जो अपने आपमें सम्पूर्ण अर्थ है तथा इस तरह है-
जयन्ती: जयति सर्वोत्कर्षेण वर्तते इति ‘जयन्ती’ इसका अर्थ सबसे उत्कृष्ट और विजयशालिनी है.
मंगला: मङ्गं जननमर  णादिरूपं सर्पणं भक्तानां लाति गृह्णाति नाशयति या सा मङ्गला मोक्षप्रदा, जो अपने भक्तों के जन्म-मरण आदि संसार-बंधन को दूर करती हैं, उन मोक्षदायिनी मंगलमयी देवी का नाम ‘मंगला’ है.
काली: कलयति भक्षयति प्रलयकाले सर्वम् इति काली, जो प्रलयकाल में सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है वही ‘काली’ है.
भद्रकाली: भद्रं मङ्गलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्यो दातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा. जो अपने भक्तों को देने के लिए ही भद्र, सुख अथवा मंगल स्वीकार करती है, वही ‘भद्रकाली’ है.
कपालिनी: हाथ में कपाल और गले में मुण्डमाला धारण करनेवाली ‘कपालिनी’ है.
दुर्गा: दु:खेन अष्टाङ्गयोगकर्मोपासनारूपेण क्लेशेन गम्यते प्राप्यते या सा दुर्गा. जो अष्टांगयोग, कर्म एवं  उपासनारूप दुः साध्य साधन से प्राप्त होती है, वो जगदम्बिका ‘दुर्गा’ कहलाती हैं.
क्षमा: क्षमते सहते भक्तानाम् अन्येषां वा सर्वानपराधान्ज ननीत्वेनातिशयकरुणामयस्वभावादिति क्षमा. सम्पूर्ण जगत की जननी होने से अत्यन्त करुणामय स्वभाव होने की वजह से जो भक्तों और दूसरों के भी सारे अपराध क्षमा करती हैं, उनका नाम ‘क्षमा’ है.
शिवा: सबका शिव अर्थात कल्याण करनेवाली जगदंबा ही ‘शिवा’ कहलाती है.
धात्री: सम्पूर्ण प्रपंच को धारण करने की वजह से भगवती का एक नाम ‘धात्री’ है.
स्वाहा: स्वाहा रूप से यज्ञभाग ग्रहण करके देवताओं का पोषण करनेवाली देवी का नाम ‘स्वाहा’ है.
स्वधा: स्वधा रूप से श्राद्ध तथा तर्पण को स्वीकार कर पितरों का परोपकार करने वाली देवी का नाम ‘स्वधा’ है.

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