कर्नाटक/मैसूर: कहते है यदि किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है. ऐसा ही कुछ हुआ एक छोटे से गाँव में रहने वाली दीपना गांधी के साथ. दीपा का बचपन से सपना था की वह भी ISRO जैसे संसथान से जुड़े और स्पेस और चाँद के ऊपर रिसर्च करे.
जब दीपना को एस ही एक अवसर मिला तो उसने अपने सपने को पूरा करवाने में जी जान लगा दिया. और आखिर सफलता ने उसके कदम चूम ही लिए. आप को बता दे कि कर्नाटक के मैसूर से कुछ किलोमीटर दूर एक छोटे से शहर ऊटी में रहने वाली दीपना भारत की ओर उस टीम का हिस्सा हैं जो दिसम्बर 2017 में छोड़े जाने प्राइवेट लूनर रोबोटिक मिशन का हिस्सा बनी हैं.
इस मिशन में शामिल होने के लिए दुनिया के सोलह देशों की विभिन्न टीमों से एक साइंस डाक्युमेंटरी मांगी गयी थीं, जिसमें दिखाना था कि किस तरह चांद की सतह पर उतर कर एक रोबोट वहां की मिट्टी को अपने साथ वापस यान पर वापस ला सकता है.
दीपना की डाक्यमेंटरी सक्सेस हुई और उन्हें रोबोटिक लूनर मिशन के स्पेसक्राफ्ट को नियंत्रित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी है. तीस मिलियन डॉलर वाली गूगल एक्स प्राइज प्रोजेक्ट पर आइए देखते हैं यह वीडियो कि खुद दीपना यहां तक पहुंचने के बारे में क्या कहती हैं.