आमिर खान की ‘दंगल’ का बेहतरीन ट्रेलर आ चुका है। जिसकी काफी चर्चा हो रही है। यह फिल्म कुश्ती के पहलवान महावीर सिंह फोगाट से प्रेरित है। फिल्म की शूटिंग के समय से ही फोगाट की चर्चा पूरी दुनिया में गुंज रही है। आमिर खान इस दिग्गज शख्सियत की जिंदगी को पर्दे पर जिएंगे। फोगाट का नाम पूरी दुनिया अब सम्मान से लिया जा रहा है।
फिल्म ‘दगल’ भले है कुच्छेक सालों मेहनत से बन गई हो लेकिन महावीर के लिए यह सब आसान नहीं था। उन्होंने काफी स्ट्रगल किया। वे भारतीय कुश्ती संगठन द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित किए गए हैं।
आईए जानें उनके जीवन से जुड़ी अनटोल्ड कहानी-
चांदगी राम अखाड़ा की शान
हरियाणा के भिवानी जिले में स्थित बलाली गांव के निवासी फोगाट को कुश्ती से जुड़े लोग बखूबी जानते हैं। वह अपने राज्य के कुश्ती चैंपियन के अलावा भारतीय कुश्ती टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। फोगाट दिल्ली के मशहूर चांदगी राम अखाड़ा की शान रह चुके हैं।
बेटों के बजाय बेटियों को अखाड़े में उतारा...
हरियाणा जैसा राज्य अपनी स्थापित पितृसत्ता और प्रतिष्ठा हत्याओं के लिए कुख्यात रहा है. वहां से आए दिन महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और भ्रूण हत्याओं की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन इस सभी के बीच महावीर फोगाट की चार बेटियां हुईं और वे अपने भाई की दो बेटियों की भी देखभाल कर रहे हैं. एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पहलवान होने के नाते वे हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा उनका सपना पूरा करे. देश के लिए गोल्ड मेडल जीते, मगर अफसोस कि उन्हें कोई बेटा न हुआ. उन्होंने अपनी बेटियों को ही कुश्ती के दांवपेंच सिखाने का फैसला किया.
बाप के सुनहरे सफर की गवाह बेटियां
भारतीय समाज में बेटियां हमेशा हाशिए पर रही हैं। जब भी बेटियों ने परंपरा से हट के काम करने की कोशिश तब-तब बेटियों पर समाज ने बेड़ी डालने कोशिश की। लेकिन महावीर ने अपनी बेटियों बबीता और गीता को अपनी विरासत सौंपी। अखाड़े में बेटियों को उतारा। उनकी बेटियां अखाड़ों में लड़कों से बीस छूटने लगीं। मिट्टी और पसीने से लथपथ लड़कियों को देखकर शुरुआत में तो गांव वाले अजीब चेहरे बनाते लेकिन फिर सब कुछ सामान्य होने लगा। चारों तरफ उनके नाम के ही चर्चे थे। वह धीरे-धीरे मगर मजबूत कदमों से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही थीं। एक बाप अपनी बेटियों के सुनहरे सफर का गवाह बन रहा था।
बेटियों ने जीते गोल्ड
आखिरकार फोगाट की मेहनत रंग लाई। उनकी दोनों बेटियों ने गोल्ड मेडल जीते। उनकी बेटी गीता फोगाट (55 किलो वर्ग) भारत की ओर से गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने यह कारनामा 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में किया था। उसके बाद साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में बबीता ने गोल्ड मेडल जीता।
भाई की बेटियों को भी दी ट्रेनिंग...
ऐसा नहीं है कि महावीर फोगाट सिर्फ अपनी बेटियों को ही दंगल में उतारते रहे। गीता और बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं। वह साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर चुकी हैं। आज की तारीख में फोगाट बहने किंवदंती बन चुकी हैं और इसका श्रेय महावीर फोगाट की निष्ठा और दूरष्टि को भी जाता है।