शास्त्र के ये नियम जीवन को बनाते है स्वस्थ और निरोगी
शास्त्र के ये नियम जीवन को बनाते है स्वस्थ और निरोगी
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इस संसार में हर व्यक्ति सुखी जीवन जीना चाहता है लेकिन सुखी जीवन जीने के लिए उसका स्वस्थ व निरोगी रहना जरूरी है बिना स्वस्थ शरीर के धन, वैभव किसी काम का नहीं. लेकिन स्वस्थ जीवन के लिए सही व उचित खान-पान जरूरी है इसी विषय में हमारे शास्त्रों में भी कुछ नियम बताये गए है जिनका पालन करके व्यक्ति स्वस्थ व निरोगी जीवन प्राप्त करता है. आइये जानते है वह नियम कौन से है?

हमारे वेद व शास्त्रों में कहा गया है की व्यक्ति अपना जूंठा भोजन किसी को भी नहीं करवाना चाहिए और किसी भी बीमार व्यक्ति का जूंठा भोजन भी नहीं करना चाहिए. हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यदि कोई भी व्यक्ति भोजन कर रहा है तो उसके बीच में बैठकर नहीं करना चाहिए.

कभी भी आवश्यकता से अधिक या कम भोजन नहीं करना चाहिए. यदि आप आवश्यकता से अधिक भोजन करते है तो इससे आपके शरीर में चर्बी की मात्रा अधिक होती है और मोटापा बढ़ता है और आवश्यकता से कम भोजन करने पर कमजोरी और पेट से सम्बंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है. इसलिए उतना ही भोजन करना चाहिए जितना आवश्यक है.

कभी भी भोजन करने के बाद बिना हाथ मुंह धोये कहीं नहीं जाना चाहिए क्योंकि जूठे हाथ और मुंह लेकर घूमना अशुभ माना जाता है यदि आप जूठे हाथ लेकर अपने घर में घुमते है तो आपके हाथ में लगी जूठन कहीं भी गिर जाती है और पैरों के नीचे आती है जिससे अन्न का अपमान होता है जो अशुभ माना जाता है और अशुभता का प्रभाव घर के सभी व्यक्तियों पर होता है.

 

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