एक सेक्सोलॉजिस्ट भी दावा करते हैं कि इंटरनेट पर दिखाया जाने वाला पोर्न नेचुरल सेक्स नहीं होता है। लेकिन वैसा लोग जब असल जिंदगी में करने की कोशिश करते हैं तो ना तो उस लेवल की परफॉर्मेंस दे पाते हैं और ना ही उतना कंफर्ट महसूस करते हैं। इससे निजात पाने के लिए दवाएं तो मौजूद हैं ही, साथ ही ये सलाह भी दी जाती है कि पोर्न देखना थोड़ा कम कर दें।
वैसे आपको बता दें मर्दों की बजाए महिलाएं पोर्न देखना ज्यादा पसंद करती हैं। यह एक शोध में पता चला है। गौर करें कि पॉर्न असली ज़िन्दगी के सेक्स की तरह नहीं है और ना ही यह सेक्स और अंतरंगता के बारे में जानने का सर्वोत्तम तरीका है। हाल ही में आई एक रिसर्च से ये सामने आया है कि पोर्न देखकर हम अपने पार्टनर से वैसी ही अपेक्षा करना चाहते हैं जो कि संभव नहीं है।
आमतौर पर पोर्नोग्राफी का सबसे बडा कारण है कि लोगों को इससे आनंद मिलता है। जब कभी कोई सेक्स क्लिप देखता है तो शरीर में सेक्सुअल हार्मोन का स्त्राव अचानक बढ जाता है। अगर कोई पूरे फोकस के साथ इरोटिक नॉवेल पढता है, तो वह कल्पनाओं में डूब जाता है और फेंटेसी करने लगता है।
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