इतिहास के पन्नों में है इन 4 ज्योतिर्लिंग का जिक्र... जानिए इनका महत्त्व
इतिहास के पन्नों में है इन 4 ज्योतिर्लिंग का जिक्र... जानिए इनका महत्त्व
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ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) भगवान शिव के पवित्र शिवलिंगों को संकेत करता है। ये शिवलिंग भारत भर में स्थित हैं। ज्योतिर्लिंग की संख्या कई शास्त्रों और पुराणों में विभिन्न हो सकती है, लेकिन मान्यताओं के आधार पर आमतौर पर उनकी संख्या 12 मानी जाती है। ये हैं वे 4 ज्योतिर्लिंग:

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह ज्योतिर्लिंग हिमालय के पश्चिमी भाग में उत्तराखंड राज्य के गर्वाल ज़िले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर, महादेव को समर्पित है और शिव परिवार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है।

केदारनाथ मंदिर की स्थापना के पीछे पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। इसके अनुसार, पांडव राजा युधिष्ठिर द्वारा महाभारत के काल में शिव जी ने विशेष रूप से यहां विराजमान हुए थे। मान्यता के अनुसार, यहां केदार नामक पहाड़ी पर शिवलिंग रचे गए थे और यहां केदारनाथ मंदिर का निर्माण हुआ।

केदारनाथ मंदिर को यात्रियों के लिए पहुंचने के लिए एक यात्रा की जाती है, जिसे चार धाम यात्रा का एक भाग माना जाता है। मंदिर ऊँचाई पर स्थित है और यात्रियों को गौरीकुंड और केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य के माध्यम से पहुंचना पड़ता है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य और पवित्रता आकर्षक होती है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग धार्मिक उत्सवों और मेलों का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां की महाशिवरात्रि पर्व में लाखों शिव भक्तों की भीड़ इस जगह को विशेष बनाती है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म के अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र स्थानों में से एक है, जहां शिव भक्तों को आध्यात्मिकता, ध्यान और उन्नति का मार्ग प्रदान किया जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ज़ियाबाद ज़िले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग का महत्वपूर्ण स्थान शिव परिवार के मंदिरों में है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा में बताया जाता है कि महाभारत काल में पांडव राजा युधिष्ठिर ने अपनी विजय के बाद इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को विशेष रूप से महाभारत के वीर भीम के नाम पर नामित किया गया है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को प्राकृतिक सौंदर्य और पवित्रता से घिरा हुआ माना जाता है। इसके पास बर्फीले पहाड़, वन्यजीव अभ्यारण्य, और धार्मिक स्थल हैं, जिन्हें यात्रियों द्वारा आवश्यकता के हिसाब से घूमा जा सकता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में महत्वपूर्णता के साथ जाना जाता है और यहां भक्तों की भीड़ धर्मिक उत्सवों और मेलों में भारी होती है। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर्व का आयोजन होता है, जिसे भक्त विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां शिव भक्तों को आध्यात्मिकता और आनंद का एक अद्वितीय अनुभव मिलता है।

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में स्थित है। विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग को महादेव के नाम से जाना जाता है, और यह भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में से एक है।

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। कई पुराणों के अनुसार, वाराणसी शहर को दिव्यता प्रदान करने वाले महादेव के ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है। मान्यता के अनुसार, विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण महाभारत काल में राजा दक्ष द्वारा किया गया था।

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग वाराणसी के मान्यतापूर्ण घाटों पर स्थित है। इसके पास मानिकर्णिका घाट, काशीविश्वनाथ मंदिर और पश्चिमी घाट जैसे प्रमुख स्थान हैं, जिन्हें यात्रियों द्वारा आवश्यकता के हिसाब से पर्यटन किया जा सकता है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य और नगरी की महिमा विशेष है।

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भारतीय धर्म और आध्यात्मिकता के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहां भक्तों को ध्यान, आध्यात्मिकता, और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रदान किया जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव महादेव के नाम पर जाना जाता है और यह भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में से एक है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा विशेष रूप से शिव पुराण में उल्लेखित है। इसके अनुसार, यहां शिवलिंग रचे गए हैं, जो त्र्यम्बकेश्वर नामक पहाड़ी पर स्थित हैं। त्र्यम्बकेश्वर शब्द का अर्थ होता है "तीन नदियों का भगवान" और इसे इसलिए नामित किया गया है क्योंकि यहां त्रिवेणी संगम स्थल स्थित है, जहां गोदावरी, वैतरणी और कोथाला नदी एकत्र होती हैं।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग एक प्रमुख प्राचीन मंदिर है और इसकी विशेषता उसके स्थानिक महत्व की गहरी जड़ों में है। इसका स्थान नासिक शहर के निकट ब्रह्मगिरी पहाड़ी पर स्थित है, जो तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां शिव भक्तों को आध्यात्मिकता, शांति, और मुक्ति की प्राप्ति का अद्वितीय अनुभव होता है।

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