पैकेज्ड फूड के लिए बने उचित व आसान माप दंड
पैकेज्ड फूड के लिए बने उचित व आसान माप दंड
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हाल ही में उपजा मैगी विवाद अभी पूरी तरह ठण्डा भी नही हुआ था और अब उत्तर प्रदेश में मदर डेयरी दूध के नमूने भी जाांच में अस्वस्थ फेल पाए गए हालांकि इस पर मदर डेयरी ने सफाई पेश करते हुए कहा है कि ये नमूने हमारी दूध डेयरी से न लेकर गांव से लिया गया है जिस कारण ये नमूने फेल हुए है चलिए मान लेते है कि ये नमूने गांव से लिए गए थे पर मदर डेयरी उत्पाद भी तो इसी दूध से ही बनाए जााते है तो फिर ये स्वास्थवर्धक कैसे हो सकते है आज हमारी डाईट का एक बडा हिस्सा पैकेज्ड फूड पर निर्भर है और धीरे धीरे ये हिस्सा बढता ही जा रहा है इसलिए अब समय आ गया है कि पैकेज्ड फूड की व्यापक स्तर पर जाांच की जाए इसकी स्वास्थवर्धकता की सही जानकारी आसान शब्दों में उपभोक्ताओं को दी जाए ताकि वो कम से कम अपने खाने को लेकर तो भ्रमित न हो.

आज भारतीय बाजार तेजी से वैश्वीकरण की ओर बढ़ रहा है और कई  मल्टी नेशनल कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है जिनमें से कसी खाद्य पदार्थों की भी है.इन सभी कंपनियों व वर्तमान में भारतीय बाज़ार में संचालित पैकेज्ड फ़ूड निर्माता कंपनियों को ये बताने का बिल्कुल सही वक़्त है कि अब से भारतीय उपभोक्ता कुछ भी नही खाएगा.और उसे अब से केवल स्वस्थ खाना ही परोसा जाए. वैसे तो पैकेज्ड फ़ूड के हेल्दी होने की सम्भावना बहुत कम ही होती है लेकिन इसकी बढ़िया पैकिंग व आकर्षक विज्ञापन उपभोक्ता को इसकी ओर आकर्षित करती है चूँकि इनकी पैकिंग पर भी इनकी स्वस्थ्वर्धकता कि कोई जानकारी स्पष्ट शब्दों में नहीं दी जाती है इसलिए उपभोक्ता आसानी से इनके जाल में फस जाता है अतः अब सरकार को इस प्रकिया को आसन बनाने के बारे में सोचना चाहिए.आज जब लोग अपने घर के कूलर और पंखे भी स्टार देखकर खरीद रहे है ऐसे में हम खाने को बिना जांचे परखे कैसे कुछ भी ले सकते है. ये उपयुक्त समय है इस बात पर व्यापक स्तर पर विचार करने का, 

आज भारत में उन लोगों की संख्या या प्रतिशत कितना है जो पैकेज्ड फ़ूड पर लिखी जानकारी को पूरी ईमानदारी से पढते है या उन्हें ये जानकारी समझ भी आती है इससे अच्छा तो ये हो की सरकार पैकेज्ड फ़ूड में भी इलेक्ट्रोनिक आइटम की तरह ही स्टार देने के पद्दति लगू कर सकती है आज दिन व दिन शहरी आवादी की संख्या बढती ही जा रही है और इस कारण पैकेज्ड फ़ूड की खपत भी बढ़ रही है ऐसे में सरकार कभी अपने लोगों के स्वस्थ पर ध्यान देना होगा.

आज जब की हमारे प्रधानमंत्री पूरे विश्व को योग कराकर स्वस्थ व सयमित जीवन का संदेश दे रहे है तो फिर पैकेज्ड फ़ूड को लेकर इतनी लापरवाही क्यू वर्ती जा रही है अब वक़्त आ गया है  और दिखावा छोड़ स्वस्थ के बारे में सोचने का.ज्ञात हो कि संसद में हाल ही में प्रस्त्तुत रपट के अनुसार पिछले साल दूषित खाने के लगभग 10000 मामले सामने आए थे लेकिन केवल लगभग 900 को ही सज़ा मिल सकी थी इससे वैश्विक स्तर पर यही संदेश जाता है कि भारत में तो कुछ भी परोसा जा सकता है और गलती मिलने पर कार्रवाई का भी डर नहीं इस गलतफ़हमी को दूर करने और कठोर निर्णय लेने का.जिस प्रकार पैकेज्ड फ़ूड पर मासाहारी के लिए लाल व शाकाहारी के लिए हरा निशान रहता है जिससे आसानी से इसके मासाहारी या शाकाहारी होने का पता चलता है.इसी तरह कई आसान नीति इनकी पोषकता बताने के लिए भी होना चाहिए. 

                                                                                                                                पं.सुदर्शन शर्मा

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