देखने या रखने की वस्तु नहीं है शंख
देखने या रखने की वस्तु नहीं है शंख
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घर के मंदिर या पूजा स्थान पर शंख रखा तो जाता है लेकिन उसका उपयोग बजाने में नहीं किया जाता है। कुल मिलाकर कहने का अभिप्राय यह है कि शंख देखने या रखने की वस्तु नहीं है। इसका उपयोग यदि बजाने के साथ ही शंख के माध्यम से घर में पानी छिड़कने में किया जाए तो शुभ रूप से फल की प्राप्ति होती है।

शंख को वैसे ही अति शुभ माना गया है तथा ज्योतिष शास्त्र में भी इसका विशेष महत्व बताया गया है। शंख की ध्वनि से वातावरण तो शुद्ध होता ही है वहीं यदि पूजा आरती  करते समय शंख की ध्वनि की जाए अर्थात शंख बजाया जाए तो घर का दुर्भाग्य दूर होने लगता है।

इसके अलावा शंख का पानी आरती पूजन के बाद घर में छिड़कना चाहिए। इससे वास्तु दोष भी खत्म होता है तथा घर में समृद्धि आने लगती है। शंख बजाने से फेफड़े में भी मजबूती आती है, ऐसा चिकित्सकों का मत है।

कलश यात्रा के साथ होगी शंख ध्वनि की अनुगूंज

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