इंसान की वाणी ही उसका व्यक्तित्व निर्धारित करती है
इंसान की वाणी ही उसका व्यक्तित्व निर्धारित करती है
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इस जगत में भगवान ने हमें जो कुछ भी दिया है. उसका हमारे जीवन में बहुत ही महत्त्व है, भगवान ने हमें विचारों का विमर्श करने के लिए मस्तिष्क दिया है. हम अपने मन के विचारों को मस्तिष्क के द्वारा जीवन में अच्छे व बुरे मार्ग को जानते हैं, हमारे जीवन के लिए क्या उचित है. क्या अनुचित इसे जानते है. तभी हमारे भावों की सार्थक अभिव्यक्ति होती है.

वाणी हमारे विचारों, संस्कारों और चरित्र का अभिलेख है। वाणी से व्यक्ति को इस संसार में मान, प्रतिष्ठा, सम्मान, इज्जत आदि मिलती है. जब भी हम किसी भी व्यक्ति की वाणी सुनते है. तो हम उस व्यक्ति के चरित्र का अंदाजा लगा सकते हैं. की उस व्यक्ति का स्वभाव कैसा है? जब तक व्यक्ति चुप चाप रहता है तब तक किसी को यह पता नहीं चलता कि उस व्यक्ति का स्वभाव कैसा है? लेकिन जब व्यक्ति कुछ भी बोलता है लोगो से बात करता है तभी उसके स्वभाव व वाणी, उसके द्वारा बोले गए शब्दों की प्रखरता का पता चलता है.

इसी के चलते हम आपको इस कहानी के माध्यम से व्यक्ति की वाणी को उलेखित कर रहे है. इससे आपको यह हासिल होगा की व्यक्ति को इस जगत में सम्मान व प्रतिष्ठा कैसे हासिल होती है.

एक गांव में एक ऐसा व्यक्ति था जो पूरा दिन बक-बक करता रहता किसी की ना सुनता बस अपनी ही अपनी बातों का स्पष्टीकरण करता रहता था उसके इस स्वभाव को देखकर उसकी कोई इज्जत नहीं करता था। इससे कारण वह बहुत परेशान सा रहता । कुछ समय पश्चात एक संत उस गांव में आए। अभी उस व्यक्ति की भेंट उस संत पुरुष से हुई तब व्यक्ति ने संत से प्रार्थना की कि महाराज इस गांव में मेरी कोई इज्जत नहीं करता मुझ पर सभी हँसतें है. 

सकी इस बात को सुन संत पुरुष ने कहा आज से तुम चुप रहना सीखो और जरूरत पड़ने पर ही कुछ बोलो और ऐसी बातों को बोलो जिनका कोई महत्त्व व् अर्थ हो अपने जीवन में उचित शब्दों का प्रयोग करो ऐसे शब्द मत बोलो जिनकी वजह से किसी को दुःख उत्पन्न हो .उसने संत की बात मान ली और चुप रहने लगा. केवल चुप रहने से ही गांव के लोग उसे समझदार व्यक्ति मानने लगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि अब वह अपने मुख से गलत व अनुचित शब्द का प्रयोग नहीं करता है. उसके इस स्वभाव को देख लोगों को समझ में आ गया कि वह समझदार व्यक्ति हो गया है. 

अनुचित शब्द का प्रयोग कर दु:ख को आमंत्रित मत करो, क्योंकि आपको नहीं पता कि आपकी किस बात का क्या प्रभाव पड़ सकता है. और आपकी कोई अनुचित बात किसी के जीवन में दुःख का सागर न भर दे आप हमेशा सोच समझ कर शब्दों का प्रयोग करो.

क्योंकि कहा गया है की- जिस तरह कमान से निकला तीर वापस नहीं आता उसी तरह मुख से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं आते इसलिए हमेशा ऐसा बोलो की किसी को आपकी बातों से दुःख न हो इसलिए संत वाणी के संयम और उसके सदुपयोग का उपदेश देते हैं.

जिस घर में प्रेम है तो निश्चित ही वहां सफलता और वैभव है

लगन और साहस बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान है

हर मनुष्य का एक ही शत्रु होता है और वो ये है..

सुख की माया के जाल से कोई नहीं बच सका

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