वास्तु शास्त्र के सहारे हम जान सकते हैं कि हमारी दैनिक गतिविधियों में किस प्रकार की ऊर्जा का प्रभाव है। यह सकारात्मक है या नकरात्मक। हमारे आसपास कई तरह की ऊर्जा रहती है, जो कि हम पर प्रभाव डालती है। यहां तक कि हमारे सोने की स्थिति और बार-बार आने वाले सपने भी हमारे जीवन पर असर डालते हैं।
वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा सोने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। इस दिशा में सोने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह दिशा ऐसी है जहां सकारात्मक ऊर्जा आने के बाद रुक जाती है और बाहर नहीं निकल पाती है। यही कारण है कि घर बनाते समय वास्तु विशेषज्ञ दक्षिण-पश्चिम दिशा में दरवाज़ा या खिड़की बनाने से मना करते हैं।
सपनों की बात करें तो इनसे जुड़े रहस्य को कोई सुलझा नहीं पाया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सपनों के आने का कोई खास कारण नहीं होता। न ही स्वप्न हमें प्रभावित करते हैं, लेकिन हमारे शास्त्र इससे विपरीत तर्क देते हैं। शास्त्र कहते हैं कि सपनों का आना, किसी खास समय पर स्वप्न का आना, स्वप्न में कौन आया, इन सभी बातों का हमारे वर्तमान और भविष्य से संबंध होता है। इसके दुष्प्रभाव को दूर करने के उपाय भी शास्त्रों में मौजूद हैं।
यदि स्वप्न अधिक भयानक हो और रात्रि में 12 से 2 बजे के बीच देखा जाए तो श्री शिव का नाम स्मरण करें। ॐ नमः शिवाय: का जप करते हुए सो जाएं। ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि कर शिवमंदिर में जाकर जल चढ़ाएं, पूजा करें। पुजारी को दान करें।
यदि कोई बुरा स्वप्न सुबह चार बजे के बाद देखा गया है तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। कोई दुष्परिणाम नहीं होगा। स्नान के बाद ॐ नमः शिवाय: का जप करें। जब बुरा सपना देखा जाए तो हनुमान जी को याद करें। हनुमान जी अनिष्ट को दूर करने वाले हैं। बुरे स्वप्न का अनिष्ट दूर करने के लिए सुंदरकांड, बजरंग बाण, संकटमोचन स्तोत्र या हनुमान चालीसा का पाठ भी सांयकाल के समय किया जा सकता है।
यदि बुरा स्वप्न आए और घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो सुबह उठकर सफेद काग़ज़ पर स्वप्न को लिखें फिर उसे जला दें। राख नाली में पानी डालकर बहा दें। फिर स्नान कर ॐ नमः शिवाय: का जप करें। दुष्प्रभाव नष्ट हो जाएगा