नवग्रहों का अंतिम ग्रह है केतु
नवग्रहों का अंतिम ग्रह है केतु
Share:

नवग्रहों में अंतिम ग्रह केतु को माना गया है। केतु जहां राहु ग्रह का शरीर है तो वहीं यह पाप ग्रहों में शामिल है। हालांकि यदि कुंडली में केतु की स्थिति शुभ होती है तो यह शुभ फल ही प्रदान करता है, लेकिन अधिकांशतः केतु की स्थिति अशुभ ही रहती है और इसका परिणाम विपरित रूप से ही सामने आता है। केतु ग्रह की स्थिति को अनुकुल बनाने के लिए लहसुनिया रत्न धारण करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है।

केतु का उपयुक्त रत्न लहसुनिया है और इसे शुद्ध और सिद्ध करने के बाद यदि धारण किया जाता है तो केतु ग्रह की स्थिति शुभ रूप से समक्ष में आने लगती है। संस्कृत भाषा में लहसुनिया को वैदूर्य, वायजा, बिदुरज भी कहा जाता है और लहसुनिया अपनी चमक के कारण बिल्ली की आंख जैसा दिखाई देता है।

दोष रहित लहसुनिया ही धारण किया जाना चाहिए, अन्यथा शुभ फल की प्राप्ति नहीं बल्कि दोष पूर्ण लहसुनिया अमंगलकारी भी सिद्ध हो सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार लहसुनिया रत्न को स्वर्ण या फिर पंच धातु की अंगूठी में धारण करना उत्तम होता है।

जानिए क्या है चेहरे पर चावल के पानी का जादुई असर

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -