देश को अजादी के हो चुके है 70 साल लेकिन आज भी एक जगह ऐसी है जहां अंधेरा कायम है
देश को अजादी के हो चुके है 70 साल लेकिन आज भी एक जगह ऐसी है जहां अंधेरा कायम है
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भारत का 70वां स्वतंत्रता दिवस अभी कल ही मनाया गया है और जहां तक सभी को यह पता है की भारत एक विकासशील देश है जहां पर अब ऐसी कोई भी जगह नहीं होगी जहां पर विकास का शब्द भी न पहुंचा हो लेनिक अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोंचते है तो मैं आपको बतादूं की आप बिलकुल गलत सोंचते हैं भारत में आजादी के 70 साल होने के बावजूद जहां देश आज इतनी तरक्की कर चुका है वहीं भारत में अब भी कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां पर विकास की बातें तो हुई लेकिन विकास के नाम पर एक कंण इधर से उधर नहीं हुआ। आज भी उन जगह के लोग विकास के नाम पर रोते दिखाई पड़ते हैं। मानों लगता है की अजादी भारत में वहीं न मिली हो बाकी तो सभी जगह विकास की बातें और काम होते रहते हैं। 

यहां पर आज मैं आपसे बात कर रहा हूॅं एक ऐसी जगह की जहां पर एक तरफ तो पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ था लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां पर लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने से साफ इंकार कर दिया। जी हां मैलानी रेंज के चैधरीपुर गांव में समस्त लोगों ने मिलकर स्वतंत्रता दिवस मनाने से साफतौर पर इंकार कर दिया, देखा जाए तो वह लोग स्वतंत्रता दिवस मनायें भी तो क्यों जब से हमारा देश आजाद हुआ है तब से ही वहंा पर सिर्फ विकास की ही बातें हो रही हैं लेकिन अमल कोई नहीं कर रहा है ऐसे में आजादी का जश्न मनें तो आखिर कैसे मनें। अब आप भी सोंचते होंगे की आखिर यह जगह कौन सी है तो चलिए मैं आपको इस जगह के बारे में भी बता देता हॅूं।

यह जगह लखीमपुर खीरी से 70 किलोमीटर दूर चैधरीपुर गांव की जहां के लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने से साफ मना कर दिया। यहां के लोगों का कहना है की भारत की आजादी के 70 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अब तक यह जगह विकास की आजादी के नाम पर अधूरी पड़़ी है और इसलिए हम यहां पर स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाएंगे। सोंचने में कितना अजीब लगता है की जहां एक ओर भारत आजादी के 70 साल का जश्न मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भारत का एक कंण विकास के नाम से कोसों दूर है। यहां के लोगों का कहना है की आज तक गांव में बिजली नहीं दी गई और सड़कों की हालत भी एकदम खस्ता है मानों सड़कें तो कभी थी ही नहीं।

सोंचने की बात तो यह है की जहां भारत स्वच्छता अभियान को लेकर इतना आगे बढ़ गया है और सफलता भी हांसिल कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर इस गांव के ज्यादातर घरों में अभी तक शौंचालय की सुविधा तक नहीं हैं इन लोगों को मजबूरन शौंचालय के लिए खेत की तरफ जाना पड़ता है। मै जानता हॅूं की अब आप भी यही सोंचते होंगे की आखिर अब तक यह जगह ऐसी पिछड़ी हुई क्यों है तो मैं आपको बतादूं की मैलानी रेंज के दक्षिण का एरिया जिले में सबसे पिछड़ा हुआ माना जाता है। और जिस गांव की मैं बात कर रहा हॅूं वह चैधरीपुर गावं है जो की गरीबी की दृष्टि से काफी आगे है। यहां के अधिकांश लोग पिछड़ी जाति के है और अपना जीवन यापन करने के लिए जंगलो पर ही निर्भर रहते हैं। इनका काम ही लकड़ी काट कर बेचना और मजदूर करना है। 

इस गांव की अगर बात करें तो यह गांव सन् 1923 में बसा था इसका मतलब यही है की आजादी के पहले से यह गांव स्थापित हो गया था जहां पर अब लगभग 80 परिवार रहते हैं। हैरानी वाली बात यह है की इतने बड़े गांव मे मात्र 4 ही शौचालय हैं। इतना ही नहीं गांव वालों का कहना है की इस गांव के पास वाले गांव में कई सालों पहले ही बिजली पहुंच चुकी है लेकिन इस गांव ने अब तक बिजली की रोशन तक नहीं देखी। इस गांव के लोगों का कहना है की इस गांव के चारों और जंगह ही हैं और गांव में लाइट न होने के कारण शाम होते ही बच्चों को घरों से निकलने से रोकना पड़ता है। इतना ही नहीं कोई भी ग्रामीण घर से बाहर निकलने मे घबराता भी है क्योंकि जंगली जानवर अक्सर यहां पर छोटे बच्चों को उठा भी ले जाते हैं।

गांव वाले अब सरकार से खफा हैं क्योंकि ग्रामिणों ने कई बार प्रशासन से गांव में बिजली के लिए कह चुका है लेकिन कोई भी प्रशासन का अधिकारी गांव में आने के लिए तैयार ही नहीं है और इसलिए लिए समस्त ग्रामीणों ने तय किया है की वह 15 अगस्त का पर्व नहीं मनाएंगे।

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