रूस के उत्तरी ओसेटिया के सुदूर वीरान इलाके में दर्गाव्स गाँव मौजूद है. यह जगह पांच ऊंँचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच छिपी हुई है. हर इमारत की प्रत्येक मंजिल में लोगो के शव दफनाए हुए है. जो इमारत जीतनी ऊंची है उसमे उतने ही ज्यादा शव है. इस तरह से हर मकान एक कब्र है और हर कब्र में अनेक लोगो के शव दफनाये हुए है. ये सभी कब्र तकरीबन 16वीं शताब्दी से संबंधित है.
इस जगह को लेकर स्थानीय लोगों के तरह-तरह के दावे और मान्यताएं भी हैं. लोगों का मानना है कि पहाड़ियों पर मौजूद इन इमारतों में जाने वाला लौटकर नहीं आता. शायद इसी सोच के चलते, यहां मुश्किल से ही कभी कोई टूरिस्ट पहुंचता है. हालांकि, यहां तक पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है. पहाड़ियों के बीच सकरे रास्तों से होकर यहां तक पहुंचने में तीन घंटे का वक्त लगता है. यहां का मौसम भी सफर में एक बहुत बड़ी रुकावट है.
पुरातत्वविदों को यहां कब्रों के पास नावें मिली हैं. उनका कहना है कि यहां शवों को लकड़ी के ढांचे में दफनाया गया था, जिसका आकार नाव के जैसा है. हालांकि, ये अभी रहस्य ही बना हुआ है कि आस-पास नदी मौजूद ना होने के बावजूद यहां तक नाव कैसे पहुंचीं. नाव के पीछे मान्यता ये है कि आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी होती है, इसलिए उसे नाव पर रखकर दफनाया जाता है.
यहां पुरातत्वविदों को हर तहखाने के सामने कुआं भी मिला. इस कुएं को लेकर ये कहा जाता है कि अपने परिजनों के शवों को दफनाने के बाद लोग कुएं में सिक्का फेंकते थे. अगर सिक्का तल में मौजूद पत्थरों से टकराता, तो इसका मतलब ये होता था कि आत्मा स्वर्ग तक पहुंच गई.
यहाँ काले नहीं सिन्दूरी है शनि महराज