यहाँ काले नहीं सिन्दूरी है शनि महराज
यहाँ काले नहीं सिन्दूरी है शनि महराज
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आमतौर पर शनि मंदिरों में शनि देव की काले पत्थर की प्रतिमा या शिला के बिना किसी श्रृंगार के दर्शन होते हैं, लेकिन इंदौर के जूनी शनि मंदिर में पूरे साजो श्रृंगार में शनिदेव विराजमान हैं और उस पर जब किया जाता हैं दूध और जल से शनिदेव का अभिषेक तो निखर उठते हैं कलयुग के भगवान.

इंदौर के जूनी इंदौर इलाके में बना ये शनि मंदिर अपनी प्राचीनता के कारण जितना प्रसिद्ध है उससे कहीं ज्यादा जाना जाता है अपने चमत्कारी किस्सों के कारण. आमतौर पर लोग शनि को क्रूरता का प्रतीक मानते है और लगभग सभी मंदिरों में शनि महाराज की प्रतिमा काले पत्थर की बनी होती है जिसपर कोई श्रृंगार नहीं होता लेकिन ये एक ऐसा मंदिर है जहां शनिं भगवान रोज आकर्षक श्रृंगार में शाही पौशाक पहनकर अपने भक्तों को दर्शन देते है. 

सुबह सवेरे सबसे पहले दूध और जल से स्नान कराकर शनिदेव का सिंदूर श्रृंगार किया जाता है फिर उन्हें फूलों, शाही पोशाकों से सजाया जाता है. इस शनि मंदिर कि एक और विशेषता है जो बाकी शनि मंदिरों से इसे एक अलग स्थान दिलाती है. यहां आरती से ठीक पहले शहनाई बजायी जाती है जो आरती पूरी होने तक लगातार बजती रहती है. भक्ति और श्रद्धा से सराबोर माहौल में भक्त मांग लेते हैं शनि से वरदान.

कहते हैं इस मंदिर का इतिहास लगभग 700 साल पुराना है और शनिदेव की ये प्रतिमा स्वयंभू है. बात उस समय की है जब ये इलाका जंगलों से घिरा हुआ था. एक बार यहां रहने वाले एक अंधे धोबी को सपने में शनिदेव ने कहा कि जिस पत्थर पर वो रोज अपने कपडे धोता है उसमें मेरा वास है. धोबी ने कहा कि मै तो अंधा हूं मुझे कैसे पता चलेगा.

अगले दिन जब वो धोबी जागा तो अंधे धोबी को उसकी आंखों की रौशनी मिल गई, फिर धोबी ने उस पत्थर को निकलवाकर शनि भगवान की प्राण प्रतिष्ठा करवाई. आसपास के लोगों का कहना है कि एक दिन मूर्ति अपने आप उसी जगह विराजित हो गयी जिस जगह से उसे खोदकर निकाला गया था और तब से उसी स्थान पर शनिदेव की पूजा अर्चना होने लगी.

 

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