आतंकवादी हमलें के संदिग्ध अब्दुल करीम टुंडा को कोर्ट से मिली राहत
आतंकवादी हमलें के संदिग्ध अब्दुल करीम टुंडा को कोर्ट से मिली राहत
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नई दिल्ली:  दिल्ली के एक कोर्ट में आज फिर एक आतंकवादी रिहा हो गया और वजह वही थी सबूतों का आभाव होना अब इसमें गलती किसकी? पुलिस की या फिर इस सिस्टम की जो फैसला सुनाने में ही इतनी देर कर देता हैं की सबूत ही मिटा दिए जाते हैं.

दों बड़े जुर्म के लिए जिस व्यक्ति को संदिग्ध माना जा रहा था आज कोर्ट से उसे रहत मिल गई. जी हम बात कर रहें हैं अब्दुल करीम टुंडा की अब्दुल के ऊपर इल्जाम था की इसनें 1997 में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी आतंकवादियों की भारत में घुसने में उनकी मदद की थी. तथा इसे मुंबई हमलें में शामिल 20 आतंवादियों में से एक माना गया था. उसी के बाद भारत नें पकिस्तान को अब्दुल को भारत के हाथों सौपनें के लिए कहा था.

74 वर्षीय अब्दुल करीम टुंडा जो लश्कर-ए-तैयबा का बम विशेषज्ञ भी हैं. उसे कोर्ट नें ये कहते हुए रिहा कर दिया की अब्दुल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नही है. दिल्ली पुलिस द्वारा टुंडा के खिलाफ दायर यह चौथा और अंतिम मामला था जिसमें उसे आरोप मुक्त किया गया है. इससे पहले 1996 में टुंडा के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.

अब्दुल के साथ-साथ कोर्ट नें उसकें ससुर मोहम्मद जकारिया और उनके दो साथी अलाउद्दीन और बशीरूद्दीन को भी सबूतों के आभाव में रिहा कर दिया हैं. दिल्ली पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 121 (देश के खिलाफ जंग छेड़ने), धारा 121 ए (राज्य के खिलाफ कुछ अपराध करने की साजिश रचने), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, विदेशी अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत अपराधों के लिए आरोप पत्र दायर किया था. आप ये किसकी कमजोरी कहेगे की इतने सारे इल्जाम होनें के बाद भी आरोपी रिहा हो रहा हैं.

 

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