टेलीफोन टैपिंग के आरोप से किया जा रहा शिवराज पर प्रहार
टेलीफोन टैपिंग के आरोप से किया जा रहा शिवराज पर प्रहार
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भोपाल : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा ही विरोधी दल कांग्रेस के निशाने पर रहते हैं, पहले उन्हें डंपर मामले में घेरने की कोशिश हुई उसके बाद व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी को लेकर उन पर उंगली उठाई गई और अब विरोधियों के टेलीफोन टैपिंग के आरोप से उन पर प्रहार किया गया है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी पिछले 12 वर्षो से सत्ता में है और शिवराज सिंह चौहान 10 वर्षो से मुख्यमंत्री हैं। इस अवधि में चौहान का विवादों से चोली दामन जैसा साथ रहा, मगर उनकी खुशनसीबी यह रही कि कोई भी ऐसा विवाद अब तक सामने नहीं आया है, जिसने उनकी राजनीतिक पारी को प्रभावित किया हो।

चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे बड़ा और पहला आरोप डंपर खरीदी का लगा था, उन पर आरोप था कि उनकी पत्नी साधना सिंह के नाम पर कथित तौर पर चार डंपर खरीदे गए थे, जो एक सीमेंट कंपनी के लिए काम कर रहे हैं। इस मामले पर कांग्रेस ने विधानसभा से लेकर सड़क तक हो हल्ला मचाया, मगर मामला न्यायालय में चलने के बाद चौहान को क्लीनचिट मिल गया। उसके बाद बीते चार वर्षो से व्यापमं में हुई गड़बड़ियों को लेकर चौहान और उनके परिवार पर आरोपों की बौछार जारी है, मामले की उच्च न्यायालय के निर्देश पर विशेष जांच दल (एसआईटी) की देखरेख में विशेष कार्य बल (एसटीएफ ) जांच कर रहा है।

अब तक पूर्व मंत्री से लेकर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, व्यापमं के कई अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इतना ही नहीं राज्य के राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ भी मामला दर्ज हो चुका है। कांग्रेस का सरकार के इशारे पर एक्सेलशीट में छेड़छाड़ करने का आरोप है। कांग्रेस का आरोप है कि एक्सेलशीट में सिफारिश करने वाले में 46 स्थानों पर सीएम (मुख्यमंत्री) लिखा हुआ था, मगर उससे छेड़छाड़ कर उसे हटा दिया गया। इसी तरह की शिकायत प्रशांत पांडे ने दिल्ली न्यायालय में की थी। दिल्ली के न्यायालय ने एक एक्सेलशीट व पेन ड्राइव जांच के लिए जबलपुर उच्च न्यायालय को भेजी, न्यायालय ने इसे जांच के लिए एसआईटी को सौंपा।

एसआईटी ने न्यायालय में जवाब दिया कि पांडे द्वारा दी गई एक्सेलशीट व पेन ड्राइव 'कूटरचित' है। जिस एक्सेलशीट पर एसटीएफ जांच कर रही है, वह सही है। अब मुख्यमंत्री चौहान पर आरोप लगा है कि वे अपने विरोधियों के फोन टैप करा रहे हैं। तकनीकी विशेषज्ञ प्रशांत पांडे ने फोन टैप कराने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की है। इस याचिका पर न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार के गृह सचिव सहित अन्य लोगों को नोटिस भी जारी किए हैं। इसी के आधार पर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चौहान पर एक बार फिर हमला बोला है।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री चौहान उन लोगों के फोन टैप करा रहे हैं, जो उनके विरोधी हैं, इनमें राज्य सरकार के मंत्री तो हैं ही, साथ में कांग्रेस के नेता व प्रशासनिक अधिकारी भी हैं। मिश्रा ने आगे कहा कि मात्र पांच हजार रुपये में एक कंपनी के जरिए यह काम कराया जा रहा है, यह निजता पर हमला है। मुख्यमंत्री चौहान अपने विरोधियों के निपटाने के लिए उन सब हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते, जिनकी लोकतंत्र में इजाजत नहीं है। वहीं भाजपा के प्रदेश संवाद प्रमुख डॉ. हितेश वाजपेयी कांग्रेस पर राजनीति करने का आरेाप लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिका दायर की गई है, उसमें तकनीकी पक्ष उठाया गया है, जबकि बाहर कांग्रेस इसे दूसरे रूप में प्रचारित कर रही है, उसके पास न तो तर्क है और न ही साक्ष्य, फिर भी वह आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया का कहना है, "सरकार कोई भी रही हो, वह दूसरों पर नजर रखने की कोशिश करती है, राज्य के अर्जुन सिंह का काल रहा हो या दिग्विजय सिंह का, तब भी फोन टैपिंग के आरोप लगते रहे हैं।

वर्तमान दौर में व्यापमं घोटाले के बाद सामने आई कॉल डिटेल से यह तो साबित हो ही चुका है कि तीसरी पार्टी कुछ तो कर ही रही है।" एक बार फिर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चौहान पर हमला बोला है, देखना होगा कि इस हमले का चौहान की ओर से किस तरह का जवाब दिया जाता है। अगर आरोप सच साबित हुआ तो चौहान की मुश्किलें बढ़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। वहीं आरोप बेदम रहे तो कांग्रेस को फिर मुंह की खानी पड़ेगी तथा चौहान की छवि और निखरेगी।

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