कॉल ड्राप मामले में कम्पनियों का रुख विरोधाभासी
कॉल ड्राप मामले में कम्पनियों का रुख विरोधाभासी
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नई दिल्ली : देश में कॉल ड्राप को लेकर समस्या बढ़ते ही जा रही है. साथ ही देखने में यह आ रहा है कि इससे ना केवल ग्राहक बल्कि साथ ही सरकार और टेलीकॉम कंपनियां भी उलझन में है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कॉल ड्राप के बदले मुआवजे की भी शुरुआत की लेकिन अब इस पर दूरसंचार कंपनियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है.

बताया जा रहा है कि कम्पनियों का यह कहना है कि यदि कॉल ड्राप को लेकर उन्हें सरकार के द्वारा बाध्य किया जाता है तो वे भी कॉल रेट्स में वृद्धि कर सकते है. मामले में ही दूरसंचार कम्पनियों का यह भी कहना है कि ऐसा संभव ही नहीं है कि किसी भी नेटवर्क को कॉल ड्राप मुक्त किया जा सके.

गौरतलब है कि नियामक ने यह कहा था कि एक दिन में यदि तीन से अधिक कॉल ड्राप होते है तो इसके लिए दूरसंचार कम्पनियों को मुआवजा देना होगा. जबकि कम्पनियो का यह कहना है कि बहुत से ऐसे भी ग्राहक है जो रोज 3 रूपये के मुआवजे को हासिल करने के लिए कॉल ड्राप जैसी स्थिति पैदा करने से पीछे नहीं हटेंगे. और यदि ऐसा होता है तो कॉल रेट्स में भी बढ़ोतरी की जाना लाजमी है. ऐसी स्थिति में ग्राहकों को भी सेवाएं मिलना महंगी हो जाएगी.

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