लड़कियों की 'शिक्षा' पर तालिबानी पाबन्दी, परिजनों ने लगाई स्कूल वापस खोलने की गुहार
लड़कियों की 'शिक्षा' पर तालिबानी पाबन्दी, परिजनों ने लगाई स्कूल वापस खोलने की गुहार
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काबुल: अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद से लड़कियों और महिलाओं की जिंदगी बदतर होती जा रही है. जहां लड़कियों को पढ़ने से रोक दिया गया है, वहीं महिलाओं को नौकरी करने पर रोक लगा दी गई है. हालांकि, अब तालिबान के खिलाफ विरोध की आवाजें बुलंद होने लगी हैं. अफगानिस्तान में रहने वाले परिवारों ने एक बार फिर से तालिबान को कहा है कि वो लड़कियों के लिए 7वीं से 12वीं कक्षा की बच्चियों के लिए स्कूल खोले. तालिबान से पहले भी इस प्रकार की मांग की गई है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अफगानी परिवारों को इस बात की चिंता सता रही है कि तालिबानी सरकार के रहते हुए उनकी बेटियों का भविष्य अंधकार में है. स्कूलों को खोलने की मांग ऐसे वक़्त में की गई है, जब अफगानिस्तान नए एकेडमिक ईयर में प्रवेश कर रहा है. हालांकि, छात्राओं को अभी तक पढ़ने-लिखने से रोका जा रहा है. इस कारण बच्चियों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. लेकिन, तालिबान ने अभी तक स्कूलों को वापस खोलने पर कोई फैसला नहीं लिया है.

दरअसल, जब से तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा किया है, तब से 6ठी क्लास से ऊपर के स्कूलों को बंद कर दिया गया है. दिसंबर 2022 में लड़कियों और महिलाओं के यूनिवर्सिटी जाने और NGO के साथ काम करने पर रोक लगा दी गई. टोलो न्यूज को दिए एक बयान में अफगानी परिवारों ने देश में चल रहे हालातों पर दुख प्रकट करते हुए कहा है कि तालिबानी अधिकारियों के क्रूर फैसलों के कारण उनकी बेटियों का भविष्य दांव पर लग चुका है.

यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि अफगानिस्तान में स्कूलों के बंद होने के कारण केवल बच्चियों का भविष्य की खतरे में नहीं आया है. इसके चलते स्टेशनरी का कारोबार भी घाटे में जा चुका है. स्टेशनरी के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि छात्राओं के लिए स्कूलों के बंद होने के चलते उनका कारोबार भी प्रभावित हुआ है. स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले रफीउल्लाह बताते हैं कि अब तक उनके व्यापार में 80 फीसदी की गिरावट हो चुकी है. पहले कारोबार अच्छा होता था, लेकिन अब नहीं है.

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