राजीव गांधी हत्याकांड का निर्णय मनमाना : सुप्रीम कोर्ट
राजीव गांधी हत्याकांड का निर्णय मनमाना : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने के मामले में आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने अपना मुंह खोल ही दिया। इस दौरान निर्णय को राजनीतिक और मनमाना कहा गया। आरोपों को तमिलनाडु सरकार द्वारा दोषियों की दया याचिकाओं पर निर्णय लेने को लेकर उदासीनता दिखाए जाने पर सवाल किए गए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा कहा गया कि निर्णय लेने में लगने वाले सवाल पर आखिर इतनी देर क्यों की।

इस देरी के ही कारण मौत की सज़ा उम्रकैद में बदल गई। मामले में यह बात सामने आई है कि दरअसल सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन यूपीए सरकार की याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों की मौत की सजा को उम्र कैद में बदले जाने और तीन आरोपियों मुरूगन, संतन और अरिवु को आरोप मुक्त किए जाने को लेकर सवाल उठाए गए थे। जिसमें कहा गया था कि इन्हें आरोप मुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय ने विपक्ष के रूख पर भी सवाल उठाए। इस दौरान कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या एक बहुत ही क्रूर काम था और यह निंदनीय है। हालांकि अब 25 वर्ष बाद दोषियों की उम्र कैद को लेकर दोषियों की उम्र, स्वास्थ्य और दूसरे तथ्यों पर गौर करने की आवश्यकता है। यही नहीं इस दौरान कहा गया है कि उम्र कैद का अर्थ यह भी है कि किसी भी तरह की रोशनी के बिना पूरी आयु के लिए सज़ा भी है। हालांकि न्यायाधीशों ने इस मसले पर बुधवार को सुनवाई की। मामले में यूपीए सरकार पर सवाल उठाए गए कि यूपीए के कार्यकाल में राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी की सज़ा क्यों नहीं दी गई। 

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