नई दिल्ली: अयोध्या मामले में मध्यस्थता को लेकर सर्वोच्च न्यायालय आज अपना फैसला प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय बेंच मध्यस्थता पर शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाने वाली है. बुधवार को शीर्ष अदालत दोनों ही पक्षों से मामले के बातचीत के जरिए समाधान करने को लेकर मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था. हिंदू पक्षकारों में रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने मध्यस्थता से मना कर दिया था.
वहीं हिंदू पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने कहा था कि वे मध्यस्थता के लिए राजी है. मुस्लिम पक्ष ने भी मध्यस्थता पर सहमति जताई थी. सुनवाई के दौरान सबसे पहले एक हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा था कि अयोध्या मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने से पहले पब्लिक नोटिस जारी किया जाना चाहिए. हिंदू पक्षकार का तर्क था कि अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है, यह महज सम्पत्ति विवाद नहीं है. इसलिए मध्यस्थता का सवाल ही नहीं उठता है.
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सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि हम हैरान हैं कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को क्यों ठुकराया जा रहा है. अदालत ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है किन्तु हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा जब वैवाहिक विवाद में कोर्ट मध्यस्थता के लिए कहता है तो किसी परिणाम की नहीं सोचता. बस विकल्प आज़माना चाहता है. अदालत ने कहा कि, 'हम ये नहीं सोच रहे कि किसी पक्ष को किसी चीज का त्याग करना पड़ेगा. लेकिन हम जानते हैं कि ये आस्था का मामला है. हम इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं.'
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