पर्यावरण संरक्षण के नाम पर, संस्कृति के पोषण को नकारने का एक बड़ा सवाल
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर, संस्कृति के पोषण को नकारने का एक बड़ा सवाल
Share:

देश में अचानक एक बहस चल पड़ी। यह बहस थी यमुना नदी के जल संरक्षण और यमुना नदी के पर्यावरण को सहेजने की। जी हां, यमुना नदी के किनारे से विरोध की बयार उठी और वह सड़क से संसद के गलियारे तक पहुंच गई। दरअसल एनजीओ आर्ट आॅफ लिविंग के माध्यम से आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर द्वारा वल्र्ड कल्चरल प्रोग्राम का तीन दिवसीय आयोजन 11 मार्च से 13 मार्च तक किया जा रहा है। यह आयोजन यमुना नदी के तट पर होगा। इस आयोजन को लेकर पर्यावरणविदों ने नेशनल ग्रीन ट्रीब्यून में अपील की और फिर इस आयोजन पर सवाल उठने लगे। ट्रीब्यून इस आयोजन को लेकर जांच करने लगा और इस अयोजन को लेकर सवाल खड़े हो गए।

दरअसल यमुना नदी के पानी में बड़े पैमाने पर एंजाईम घोले जाने को लेकर भी आर्ट आॅफ लिविंग विवादों में आया गया। आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा कहा गया कि नदी के जल को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए एंजाईम डाला जाना है। यह तो कई देशों में डाला जाता है जबकि पर्यावरणविद इस पर सवाल कर रहे हैं। यही नहीं आयोजन में पार्किंग और सेना द्वारा निर्मित पंटुन पुल भी विरोधियों के निशाने पर रहा। हालांकि विरोधी विरोध कर रहे हैं। संसद के गलियारों में बहस हुई मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब 33 से भी अधिक देशों के 53000 कलाकार यहां प्रस्तुतियां देने पहुंचेंगे उसके चंद दिनों पहले ही विरोध का यह माहौल क्यों बनाया गया है।

पर्यावरण संरक्षण की आड़ में विश्व की संस्कृति के पौषक बनने और अपनी संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने के एक बड़े कार्य को क्यों नकारा जा रहा है। इस कार्यक्रम की राह में रोड़े अटकाना संस्कृति को पोषित किए जाने से रोकने की तरह ही है। दूसरी ओर यह आयोजन आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के एनजीओ आर्ट आॅफ लिविंग का आयोजन है। जिसे ध्यान में रखा जाना उचित है। वह संस्था जिसने पर्यावरण जागरूकता के लिए कार्य किया उसे ही पर्यावरण के नाम पर एक आयोजन न करने देना उचित नहीं लगता है।

यही नहीं आयोजन को लेकर कार्यकर्ताओं ने करीब 15 ट्रक गाद और व्यर्थ मलबा नदी से निकालकर नदी को गहरा किया और इसके जल को शुद्ध करने में मदद की। सेना द्वारा निर्मित किए गए पंटून पुल को लेकर भी कई तरह के सवाल उठाए गए जबकि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी द्वारा सेना से व्यवस्था के मद्देनज़र ध्यान दिए जाने की अपील किए जाने की बात पर किसी का ध्यान नहीं गया। उल्लेखनीय है कि लाखों लोगों के आगमन के दौरान भगदड़ से बचने के लिए नदी पर अस्थायी फ्लोटिंग ब्रिज 

बनाए गए हैं जिसे लेकर तरह - तरह के आरोप लगाए गए। इस मसले पर भी पूरा मामला कांग्रेस बनाम गैर कांग्रेसी होता चला गया। जबकि यह एक महत्वपूर्ण और बड़े आयोजन की सफलता का सवाल था। एजीटी में जिस तरह से सवाल उठाए गए उसे लेकर पहले ही कार्रवाई की जाती तो अंतर्राष्ट्रीय आयोजन पर इतने सवाल नहीं लगते। महज कुछ दिन पूर्व जांच कार्रवाई की बात करना और आयोजकों पर दबाव बनाना गले नहीं उतरता है। ऐसे में एक बड़ा सांस्कृतिक आयोजन अधर में लटकता नज़र आ रहा है। पर्यावरणविदों द्वारा पर्यावरण संरक्षण की चिंता करना एक अच्छी बात है लेकिन राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत देश की विभिन्न नदियों के संरक्षण, पुनर्जीवन को लेकर होने वाले कार्यों पर उन्होंने कोई सवाल क्यों नहीं उठाया इस पर भी संशय बना हुआ है। 

'लव गडकरी'

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -