हकलाने की समस्या में काफी कारगर है स्पीच थेरेपी
हकलाने की समस्या में काफी कारगर है स्पीच थेरेपी
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हकलाना ऐसी समस्या है जिसका कोई परमानेंट इलाज नहीं है. 60 से 80 प्रतिशत बच्चों का हकलाना समय के साथ अपने आप खत्म हो जाता है, जबकि बाकी को उसके साथ जीना सीखना होता है. इस समस्या में अक्सर बच्चा या वयस्क किसी ख़ास शब्द पर अटैक जाता है और उस शब्द का उच्चारण करने में उसे काफी समय लग जाता है इसी को हकलाना कहते हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि हकलाने वाले गाना गाते वक्त नही हकलाते.

गाने की गतिविधियां दिमाग के दाएं हिस्से में होती हैं और वह सभी हकलाने वालों में बिना किसी बाधा के काम करता है. इसके विपरीत बोलने की जिम्मेदारी दिमाग के बाएं हिस्से की होती है. इसलिए हकलाने वालों को गाने में कोई दिक्कत नहीं होती. हकलाहट दूर करने के लिए आजकल स्पीच थेरेपी का बहुत प्रयोग किया जाता है. इसमें हकलाने की समस्या से ग्रसित इंसान को सही तरीके से शब्दों का उच्चारण करना सिखाया जाता है इसके लिए वहाँ मौजूद काउंसलर कई सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी करते है.

इस थेरेपी से हकलाने वालों की स्थिति में काफी सुधार भी देखने को मिलता है. अगर हकलाने की समस्या सायक्लोजिक्ल है तो वो काफी जल्द ही ठीक हो जाती है. इस समस्या से ग्रसित बच्चों में आत्मविश्वास की बहुत कमी आ जाती है और स्कूल या घर के बाहर उनकी इस कमी का मजाक उड़ाया जाता है जिस कारण वो धीरे धीरे बाहर की दुनिया से कटते रहते हैं. ऐसे बच्चों को उनकी फेमिली को पूरा सपोर्ट करना चाहिए और उनमे आत्मविश्वास जगाना चाहिए.

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