दक्षिण कोरिया में हिंदी का वर्चस्व ख़त्म करने की कोशिश, राजदूत ने विदेश मंत्री जयशंकर को लिखी चिट्ठी
दक्षिण कोरिया में हिंदी का वर्चस्व ख़त्म करने की कोशिश, राजदूत ने विदेश मंत्री जयशंकर को लिखी चिट्ठी
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नई दिल्ली: देश के पूर्व राजनयिक, राजदूत कि हिंदी से संबंधित कई विद्वानों ने दक्षिण कोरिया के बूसान विदेशी भाषा विश्वविद्यालय में हिंदी की पढ़ाई बंद किये जाने के मामले में भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। विदेश मंत्री के नाम पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि वे इस मामले पर दक्षिण कोरिया सरकार से बात करें।

पत्र में लिखा गया है कि दक्षिण कोरिया में इस वक़्त बूसान विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, बूसान में पिछले तक़रीबन 37 वर्षों से पढ़ायी जा रही हिंदी को अगले सत्र (2021) से हटाने के प्रयासों के खिलाफ कोरियाई विद्यार्थियों और अध्यापकों का गहरा संघर्ष चल रहा है। पत्र में कहा गया है कि हिंदी को हटाने के पीछे एक भ्रामक दलील यह दी जा रही है कि भारत में हिंदी की अपेक्षा अंग्रेजी की मौजूदगी कहीं अधिक व्यापक है। वहाँ हिंदी पढ़ा रहीं सहायक आचार्य डॉ. सोन यॉन वू पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे ऐसे नये पाठ्यक्रम के कागज़ पर हस्ताक्षर कर दें जिससे हिंदी और हिंदी के वर्चस्व को ख़त्म कर दिया जाए।

सांस्कृतिक संबंधों का हवाला देते हुए दक्षिण कोरिया की यूनिवर्सिटीज में हिंदी की पढ़ाई जारी रखने के लिए आग्रह किया गया है। अपील करने वालों में रिपब्लिक ऑफ कोरिया में राजदूत रहे पूर्व विदेश सचिव शशांक, विभूतिनारायण राय, पूर्व कुलपति, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, अशोक कुमार शर्मा, पूर्व राजदूत, ममता कालिया, वरिष्ठ साहित्यकार, प्रो.कमल किशोर गोयनका, पूर्व उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा, प्रो.दिविक रमेश, पूर्व विजिटिंग आचार्य (ICCR), हिंदी, हांगुक विदेशी भाषा विश्वविद्यालय आदि का नाम शामिल हैं।

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