मुंबई: कई सारे संदेह और सवालों से घिरे सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मुकदमे में अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई के उस फैसले को ख़ारिज कर दिया जिसमें सीबीआई ने इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी. सीबीआई अदालत ने 29 नवंबर 2017 को अपने एक आदेश में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी.
सेशन कोर्ट के फैसले को मुंबई के 9 पत्रकारों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे के अनुसार न्याय होता ही इसलिए है कि, वो देश की जनता के सामने ठीक वैसा ही आ सके जैसा वो है. मीडिया हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है, इस दृष्टि से न्यायाधीश का यह फैंसला लोकतंत्र कि दृष्टि से ऐतिहासिक है.
आपको बता दें कि, सीबीआई के इस फैंसले को मुंबई के 9 पत्रकारों ने चुनौती दी थी, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने जायज ठहराते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया. आपको बता दें कि, साल 2005 में हुई फर्जी मुठभेड़ में गुजरात और राजस्थान की पुलिस ने सोहराबुद्दीन की हत्या की बाद में उसकी पत्नी कौसर बी की भी हत्या कर उसे दफना दिया. साल भर बाद फर्जी मुठभेड़ के चश्मदीद तुलसीराम प्रजापति की भी फर्जी मुठभेड़ में मौत दिखाई गई.
पद्मावत पर भाजपा की हिंसा और नफरत में देश जल रहा है- राहुल गाँधी
मासूम बच्चों-महिलाओं पर करणी सेना के हमले की चौतरफा निंदा
लापता स्टूडेंट पर AMU ने रिपोर्ट पुलिस को सौपी