देश की पहली जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक
देश की पहली जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक
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नई दिल्ली: देश में पहली बार सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित पर की गई जनगणना की रिपोर्ट आज सार्वजनिक कर दी गई है. ये जनगणना 2011 में की गई थी. इस जनगणना में जाति आधारित आंकड़े जारी नहीं किए गए. सरकार का कहना है कि जाति आधारित आंकड़े दूसरा मंत्रालय जारी करेगा.

जनगणना रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ये आंकड़े आम जनता तक सरकारी नीतियों का लाभ सही ढंग से पहुंचाने की दिशा में फायदेमंद साबित होंगे. गौरतलब है कि 1932 के बाद पहली बार क्षेत्र, समुदाय, जाति, आय वर्ग पर आधारित जनगणना की गई थी.

जनगणना के खास पहलू

*रिपोर्ट 4.6% ग्रामीण भारतीय परिवार ही इनकम टैक्स अदा करते हैं.

*ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं. इनमें से 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहते हैं.जिनमें से 2.37 करोड़ परिवार एक कमरे के कच्चे मकानों में गुजारा कर रहे हैं. देश में लगभग 68.96 लाख परिवार ऐसे हैं जिनकी मुखिया महिला है। इनमें से सिर्फ 16 लाख परिवार ही ऐसे हैं जहां की महिला मुखिया 10 हजार रुपए/महीना से ज्यादा कमा रही हैं.

*हमारे देश में 17.91 करोड़ परिवारों गांवों में रहते है इनमें से 5.39 करोड़ घर खेती पर आश्रित है वही 6.68 लाख परिवारों ऐसे ही है जिनका गुजारा भीख मांग कर हो रहा है.

देश के 2.50 करोड़ परिवार सरकारी या प्राइवेट नौकरियों के कारण चल रहे हैं.जो कुल परिवारों का केवल 14% है.

गौरतलब है कि ये जनगणना 2011 में शुरू हुई थी इसका मकसद ही अलग-अलग जाति के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का पता लगाना था. जनगणना 21 राज्यों के 640 जिलों में हुई.अब रिपोर्ट की मदद के मनरेगा, नेशनल हाउसिंग मिशन, नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम और इंदिरा आवास योजना को आगे बढ़ाया जाएगा.

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