मुंबई। महाराष्ट्र में अब जाति से बाहर करना, अमानवीय दंड देना और जाति पंचायतों के नाम पर मनमाने निर्णय लेना आसान नहीं होगा। ऐसा करने पर इस तरह का निर्णय करने वाले को दंड भुगतना होगा। अर्थात् खाप पंचायतो की तरह लिए जाने वाले निर्णय अब महाराष्ट्र में आसान नहीं होंगे। अमानुषिक दंड देने और जाति पंचायतों के निर्णय के नाम पर मनमानी करने वालों पर महाराष्ट्र में आपराधिक गुनाह मानते हुए इस पर प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
दरअसल यह निर्णय विधानसभा में लिया गया। बजट सत्र के आखिरी दिन सामाजिक बहिष्कार और रोकथाम विधेयक को पारित कर दिया गया। इस पर सभी दलों ने अपनी स्वीकृति भी दी। सामाजिक बहिष्कार के विरूद्ध कानून तैयार करने वाला महाराष्ट्र देश का प्रथम राज्य है। इस विधेयक में यह कहा गया है कि सामाजिक बहिष्कार प्रतिबंधित है।
इस हेतु 7 वर्ष की अधिकतम सजा और करीब 5 लाख रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पीडि़त या पीडि़त के परिवार का सदस्य मजिस्ट्रेट में भी शिकायत दर्ज कर सकता है। नियमों के अनुसार शिकायत पर सुनवाई जल्द पूर्ण की जाएगी। इसे लेकर सुनवाई आरोप पत्र दायर करने के 6 माह में ही पूर्ण करने का प्रावधान भी किया गया है।