यहाँ जानिए स्कन्द षष्ठी की व्रत कथा और पूजन विधि
यहाँ जानिए स्कन्द षष्ठी की व्रत कथा और पूजन विधि
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हर साल स्कंद षष्ठी मनाई जाती है और इस दिन का व्रत शिव-पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. ऐसे में साल 2019 में यह व्रत 19 अक्टूबर को है. वहीं शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी का उत्सव छह दिनों तक मनाया जाता है. कहते हैं उत्तर भारत में शिव-पार्वती के पुत्र को कार्तिकेय कहते हैं, वहीं दक्षिण भारत में उन्हें मुरुगन के नाम से जाना जाता है. इसी के साथ तमिलनाडू, केरल आदि दक्षिण प्रांतीय इलाकों में कार्तिकेय की विशेष रूप से पूजा की जाती है और इस पर्व को स्कंद षष्ठी पूजा भी कहते हैं. आइए आज जानते हैं इस व्रत की कथा और पूजा विधि.

स्कन्द षष्ठी से जुड़ी कथा - कहते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान कार्तिकेय अपने माता पिता एवं भाई गणेश से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर मल्लिकार्जुन आ गए. इसके बाद उन्होंने तारकासुर नामक राक्षस का वध भी किया. उस दिन स्कन्द षष्ठी थी, तभी से यह तिथि भगवान कार्तिकेय को समर्पित है और पूरे दक्षिण भारत में एक त्योहार के रुप में मनायी जाती है.

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि - इस दिन सुबह स्नान करके नए वस्त्र धारण करें और उपवास रखें. उसके बाद व्रत रखकर शाम को घर के एक कोने में भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पूरे विधि विधान से पूजा करें. ध्यान रहे पूजन सामग्री में घी और दही जरूर शामिल करें और जल में पुष्प डालकर भगवान को अर्घ्य दें. अब उसके बाद भगवान कार्तिकेय की आराधना के लिए 'देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव. कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते..' मंत्र पढ़ें. इसके बाद अपना उपवास खोलें और फलाहार लें. ध्यान रहे इस दिन रात में जमीन पर ही सोएं.

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