प्रशासन मौन योजना शुरू करके अनदेखा करा आदिवासी ने खुद पत्नी का शव कंधे पर रखकर पैदल गया
प्रशासन मौन योजना शुरू करके अनदेखा करा आदिवासी ने खुद पत्नी का शव कंधे पर रखकर पैदल गया
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भुवनेश्वरः प्रशासन ने आंख मूज रखी थी जब एक आदिवासी व्यक्ति बीच सड़क पर अपनी पत्नी का शव अपने ही कंधे पर लिए जा रहा था वो भी 10 किलोमीटर तक चलता रहा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस शव को अस्पताल से घर तक ले जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं मिल सकी।

ओडिशा में मंगलवार कि रात भवानी पटना जिला के अस्पताल में दाना माझी नाम के इस शख्स की पत्नी की मौत हो गई। वह काफी समय से टीबी से पीड़ित थी जिसका उपचार भी उसी अस्पताल में चल रहा था। लेकिन डाॅक्टर उसे बचा नहीं सके।

बुधवार को सुबह.सुबह स्थानीय लोगों ने देखा कि दाना माझी अपनी पत्नी अमंग देई का शव अपने कंधे पर रखकर घर की ओर जा रहा था। उस शख्स के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी थी। जब माझी से बता की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की तरफ से उसे ऐसी कोई भी मदद मुहैया नहीं कराई गई। इसलिए उसने खुद ही अपनी पत्नी के शव को कपड़े में लपेटा और कंधे पर लेकर पैदल ही भवानीपटना से मेलघारा गांव के लिए चल पड़ा। आपको बता दें कि ये कुल दूरी 60 किलोमीटर की है।

जब कुछ स्थानीय संवाददाताओं ने उन्हें देखा तो इसकी शिकायत जिला कलेक्टर के पास की। जिसके तुरंत बाद जिला कलेक्टर ने एक्शन लेते हुए एम्बुलेंस की व्यवस्था की। तब तक वह शख्स 10 किलोमीटर दूर आ चुका था और बची हुई 50 किलोमीटर की दूरी उसने सरकार की तरफ से मुहैया कराई गई एम्बुलेंस से की।

आपको बता दें कि ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए ही नवीन पटनायक सरकार ने फरवरी में 'महापरायण' नाम की योजना शुरू की थी। इसके तहत शव को सरकारी अस्पताल से उसके घर तक पहुंचाने के लिए मुफ्त में वाहन की सुविधा दी जाती है। उसके बावजूद ऐसी स्थिति देखने को मिली। 

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