श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: सुप्रीम कोर्ट से ईदगाह कमिटी को झटका, ये मांग लेकर पहुंचे थे अदालत
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: सुप्रीम कोर्ट से ईदगाह कमिटी को झटका, ये मांग लेकर पहुंचे थे अदालत
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नई दिल्ली: मथुरा के विवादित शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में आज सर्वोच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह कमिटी की याचिका वापस कर दी है। शीर्ष अदालत ने कमिटी से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है। यह मामला इस विषय की याचिकाओं को एक साथ क्लब करने से संबंधित था। सर्वोच्च न्यायालय में शाही ईदगाह कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने की माँग की थी जिसमें इस विषय से जुड़ी सभी याचिकाओं के एक साथ सुनवाई करने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईदगाह कमिटी की याचिका ठुकरा दी।

शाही ईदगाह कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जिन याचिकाओं को एक साथ क्लब किया गया है, उनमें से कई के दावे एक-दूसरे के विरोधी हैं। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि इस मामले में फैसला जल्दबाजी में किया गया था। हालाँकि, शीर्ष अदालत ने उनकी दलीलें नहीं मानी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर पुर्नविचार सम्बन्धी याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी दायर की गई है, ऐसे में पहले वहाँ फैसला होना चाहिए। वहाँ फैसला होने के बाद ही यहाँ आया जाए। ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे सुनवाई से मना कर दिया।

उल्लेखनीय है कि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हिन्दू पक्ष ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से माँग की थी कि इस मामले में दाखिल की गईं 15 अलग-अलग याचिकाओं को एक साथ क्लब कर दिया जाए और फिर उसपर सुनवाई की जाए। हिन्दू पक्ष का कहना था कि इससे मामले की सुनवाई को गति मिलेगी और सभी पक्षकारों को भी आसानी होगी। इसी सम्बन्ध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी, 2024 को एक आदेश में सभी याचिकाओं के एक साथ करने का आदेश दिया था।

इस मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने सुनवाई के बाद मीडिया से कहा कि, “शीर्ष अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद को कहा कि वह अपनी बात इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष रखें। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 15 मुकदमों को एक साथ सुनने का फैसला दिया था। इसी आदेश के खिलाफ शाही ईदगाह कमिटी शीर्ष अदालत में आई थी। मुझे यह नहीं समझ आया कि इस आदेश में क्या गलत था जिसके चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।”

जैन ने आगे कहा, “अगर एक दिन सभी मुकदमे सुने जाते हैं और सभी पक्षकारों को आसानी होती है, तो समस्या क्या है। जो लोग यह चाहते हैं कि मुकदमे में देरी हो और यह मुकदमा खींचे, वे ही लोग सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेकर आए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने को कहा है।” हिन्दू पक्ष का दावा है कि मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के ठीक बगल में बना शाही ईदगाह वाला ढाँचा जबरन वही बना दिया गया है, जो भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है। इस जगह पर कब्जा करके ढाँचा खड़ा किया गया है। यहाँ अभी भी कई ऐसे प्रमाण मौजूद हैं, जो कि यह साबित करते हैं कि यहाँ पहले एक मंदिर हुआ करता था।

हिन्दू पक्ष का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागार में हुआ था और यह जन्मस्थान शाही ईदगाह के मौजूदा ढाँचे के ठीक नीचे मौजूद है। सन् 1670 में मुगल आक्रांता औरंगज़ेब ने मथुरा पर हमला किया था और केशवदेव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही ईदगाह ढाँचा बनवा दिया था और फिर इसे मस्जिद कहा जाने लगा। मथुरा का मुद्दा नया नहीं है, ये सदियों पुराना है। कोर्ट में इस मामले में याचिकाएँ दायर हैं और उन पर सुनवाई होती रही है। 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए हिन्दू ने शुरू से ही यहाँ से शाही ईदगाह ढाँचे को हटाने की माँग की हैं। 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के हिन्दू राजा को भूमि के अधिकार सौंपे थे। लेकिन आज़ादी मिलने के बाद से ये मामला लंबित ही पड़ा हुआ है , इस बीच कांग्रेस द्वारा 1991 में लाया गया पूजा स्थल कानून भी यही रोकने के लिए ला दिया गया, कि किसी भी विवादित स्थल पर दावा ही न किया जा सके। 

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