SHO ने छुट्टी देने से किया इंकार, अस्पताल न ले जाने के कारण गई सिपाही की पत्नी और नवजात की जान
SHO ने छुट्टी देने से किया इंकार, अस्पताल न ले जाने के कारण गई सिपाही की पत्नी और नवजात की जान
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जालौन: यूपी के जालौन से एक चौंकाने वाली घटना सामने आ रही है यहाँ तैनात एक सिपाही की पत्नी और नवजात की मौत हो गई. सिपाही ने इल्जाम लगाया है कि घर से फोन आया था कि उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हो रही है. फिर सिपाही ने थानाध्यक्ष को छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र दिया. किन्तु थाना इंचार्ज ने छुट्टी देने से मना कर दिया. छुट्टी न प्राप्त होने से हताश सिपाही ने घरवालों को फोन कर पत्नी को चिकित्सालय ले जाने के लिए कहा.

तत्पश्चात, परिजन पत्नी को CHC ले गए. वहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया. किन्तु दोनों की हालत खराब थी. चिकित्सकों ने दोनों को आगरा रेफर कर दिया. मगर, आगरा ले जाते वक़्त रास्ते में जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई. बता दें कि सिपाही पत्नी RPF में बतौर सिपाही पोस्टेड थी. अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी ने बताया कि विभागीय जांच में थाना अध्यक्ष दोषी पाए गए हैं. उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी. प्राप्त खबर के अनुसार, थाना रामपुरा में तैनात 2018 बैच के सिपाही विकास निर्मल दिवाकर जिला मैनपुरी के रहने वाले हैं. लगभग एक हफ्ते से सिपाही रामपुरा थाना इंचार्ज अर्जुन सिंह से गर्भवती पत्नी का प्रसव कराने का हवाला देते हुए कई बार छुट्टी देने की मिन्नतें की. लेकिन, SHO ने सिपाही को छुट्टी नहीं दी. इसके चलते सिपाही की पत्नी को वक़्त पर उचित उपचार न मिलने की वजह से गर्भवती महिला और नवजात की मौत हो गई.

कहा जा रहा हर कि विकास कई दिनों से थाना इंचार्ज  से गर्भवती पत्नी का प्रसव अच्छी जगह कराने के लिए छुट्टी मांग रहा था. किन्तु SHO ने एक भी बात नहीं सुनी तथा छुट्टी देने से स्पष्ट इंकार कर दिया. पिछले शुक्रवार को पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई. फिर परिजन गांव के चिकित्सालय ले गए. वहां से उसे जिला चिकित्सालय मैनपुरी भेज दिया गया. मैनपुरी से गर्भवती को आगरा के लिए रेफर कर दिया. लेकिन, रास्तें में दोनों की मौत हो गई. वहीं, जालौन के एसपी ने एक पत्र जारी किया है. इसमें कहा है कि सभी क्षेत्राधिकारी (सीओ) और थानाध्यक्ष (एसएचओ) किसी भी सिपाहियों को छुट्टी देने के लिए परेशान न करें. सिपाही 10 से 12 बजे तक एप्लिकेशन को थाना अध्यक्ष सीओ  कार्यालय तक पहुंचाएं तथा क्षेत्राधिकारी शाम 6 बजे तक उक्त प्रार्थना पत्र आगे भेजें. यदि शाम 6 बजे तक सीओ और थानाध्यक्ष ने छुट्टी का प्रार्थना पत्र आगे नहीं बढ़ाते हैं, तो स्वयं से ही छुट्टी का प्रार्थना पत्र स्वीकार माना जाएगा. अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी ने कहा कि विभागीय जांच में थाना अध्यक्ष दोषी पाए गए हैं. थाना अध्यक्ष अर्जुन सिंह ने गलती की है, उन्हें सिपाही को छुट्टी देनी चाहिए थी. उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी. 

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