पचास साल में बदला बहुत कुछ, नहीं बदला शिवसेना के प्रति प्यार
पचास साल में बदला बहुत कुछ, नहीं बदला शिवसेना के प्रति प्यार
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मुंबई : एक बार फिर केंद्र में सत्तासीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के नेताओं द्वारा हिंदूत्व का राग अलापा गया है। मामले में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित सरकार हिंदू मतों के माध्यम से ही अस्तित्व में आई है दूसरी ओर बहुसंख्यक समुदाय को एक करने का आधारभूत काम शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाळासाहेब ठाकरे ने किया था। शिवसेना के मुखपत्र - सामना में यह बात कही गई है। दरअसल शिवसेना अपनी स्थापना के पचास वर्ष मना रही है। आज ही के दिन शिवसेना के पूर्व प्रमुख स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने इसकी नींव रखी थी। इस दौरान कहा गया है कि दिन गुजरने के साथ देश के सामने उपस्थित प्रश्नों के सवाल और गंभीर होते हैं।

मोदी सरकार महज हिंदू वोटों के समर्थन से सत्ता हासिल करती है। बीते करीब 50 वर्षों से भगवान दल की यात्रा में उथल - पुथल के साथ कठिनाईयां भी सामने आती हैं। इसका उल्लेख सामना के हाल ही में लिखे गए संपादकीय में किया गया है। मामले में कहा गया है कि पार्टी सभी दुश्वारियों से राहत पाने में सफल रही है इसके साथ महाराष्ट्र और देश की राजनीति में पार्टी ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। मामले को लेकर संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना के पास अर्थ की शक्ति नहीं थी, उसके पास पैसा नहीं था, उसके साथ पूंजीपति भी नहीं थे।

हालांकि राजनीति में पैसे का प्रभाव आज भी विद्यमान है लेकिन शिवसेना पैसे की राजनीति तोड़ने में सफल रही, कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी गई। मुखपत्र में कहा गया कि सभी तरह की परेशानियों से राहत प्राप्त करने में पार्टी सफल रही है। बालासाहेब ठाकरे की एक चिंता यही थी कि देश एक राष्ट्र के रूप में खड़ा नहीं हो पा रहा है। उसके पास मजबूत सरकार, शक्तिशाली प्रधानमंत्री और भविष्यदृष्टा नेता नहीं हैं।

शिवसेना द्वारा यह भी कहा गया है कि कम अवधि के लाभ का अवलोकन नहीं कर पा री है। दूसरी ओर वे दीर्घावधि में देश के भविष्य को लेकर ध्यान केंद्रित कर रही है। मामले को लेकर कहा गया है कि यही कारण है जिसके चलते शिवसेना का विरोध किया गया था मगर बाद में इसे बड़े पैमाने पर समर्थन मिला। पार्टी के समर्थक समस्त मुश्किलों और विपरीत परिस्थितियों से निजात पाने के लिए लगे हुए हैं और पार्टी की सहायता कर रहे हैं।

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