पानी है शिव कृपा तो सावन के महीने में करें इन सर्वशक्तिशाली मन्त्रों का जाप
पानी है शिव कृपा तो सावन के महीने में करें इन सर्वशक्तिशाली मन्त्रों का जाप
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शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में शिव जी को प्रसन्न करना बहुत आसान है। जी दरअसल शिव जी एक ऐसे देव माने जिनको प्रसन्न करना बेहद ही आसान है और उनकी कृपा मात्र से ही दुखों का नाश हो जाता है। कहा जाता है अगर उनको एक फूल भी अर्पित कर दिया जाए तो वे उससे भी खुश हो जाते हैं। इसी के साथ शिव जी की उपासना करने वाले व्यक्ति के जीवन की समस्त समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इसी के साथ ज्योतिष शास्त्र में इन्हें प्रसन्न करने के कई उपाय आदि बताए गए हैं जिसमें इन्हें क्या अर्पित करना चाहिए, किस चीज़ का भोग लगाना चाहिए, कौन सा तिलक लगाना चाहिए तथा किन मंत्रों का जप करना चाहिए तक बखूबी वर्णन किया गया है। आज सावन महीने की अमवस्या है और इस दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ मन्त्रों का जाप कर सकते हैं। जी दरअसल शिवपुराण में शिव जी को समर्पित ऐसे बहुत से मंत्र बताए गए हैं, जो हमें शांति प्रदान करते हैं। आइए आपको बताते हैं इस बारे में।

ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः- शिव पुराण में किए उल्लेख के अनुसार उपरोक्त मंत्र को रुद्र मंत्र के नाम से जाना जाता है, मान्यता है इस मंत्र का जप करने से तमाम तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!- यह मन्त्र सर्वशक्तिशाली कहलाता है जिसका जप करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


महामृत्युंजय मंत्र- ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!


महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ-
त्रयंबकम- त्रि।नेत्रों वाला; कर्मकारक।
यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्धेय।
सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित।
पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य,धन,सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली।
उर्वारुकम- ककड़ी (कर्मकारक)
इव- जैसे, इस तरह।
बंधना- तना (लौकी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है)।
मृत्युर- मृत्यु से
मुक्षिया- हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
मा- न
अमृतात- अमरता, मोक्ष।
अर्थात:- कहा जाता है यह मंत्र विश्व में सुख-शांति देकर व्यक्ति के मन से मृत्यु के भय का नाश करते हैं।

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